Comprehension

गद्यांश के आधार पर दिए गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कर लिखिए :

मैं तो शहर से या आदमियों से डरकर जंगल इसलिए भागा था कि मेरे सिर पर सींग निकल रहे थे और डर था कि किसी-न-किसी दिन किसी की नज़र मुझ पर ज़रूर पड़ जाएगी।
जंगल में मेरा पहला ही दिन था जब मैंने बबूल के पेड़ के नीचे एक शेर को बैठे हुए देखा। शेर का मुँह खुला हुआ था। शेर का खुला मुँह देखकर मेरा जो हाल होना था वही हुआ, यानी मैं डर के मारे एक झाड़ी के पीछे छिप गया।
मैंने देखा कि झाड़ी की ओट भी ग़ज़ब की चीज़ है। अगर झाड़ी न होती तो न शेर का मुँह-खुला और न ही उसमें डर पाना संभव हो पाता।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि जंगल के छोटे-छोटे जानवर एक लाइन से चले आ रहे हैं और शेर के मुँह में घुसे चले जा रहे हैं। यह बिना हिले-डुले, बिना बवाल, जानवरों की ग़ज़ब की ग़ज़ल लग रही है। यह दृश्य देखकर मैं हैरान हो गया।

Question: 1

‘सींग निकलते’ से क्या आशय है ?

Show Hint

‘सींग निकलते’ का अर्थ है हिंसक और असंयमित हो जाना। यह समाज में दबे हुए गुस्से या कुंठा की तीव्र अभिव्यक्ति है।
Updated On: Jul 17, 2025
  • हिंसक होना
  • विरोध करना
  • पशु बनना
  • व्यस्त होना
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is A

Solution and Explanation

‘सींग निकलते’ एक प्रचलित हिंदी मुहावरा है जिसका आशय है – व्यक्ति में क्रोध या आक्रोश की भावना का तीव्र रूप से बाहर आना।
गद्यांश में लेखक कहता है कि शहर में रहकर उसमें ऐसी प्रवृत्तियाँ पनपने लगी थीं जिससे वह आक्रामक, हिंसक और असहिष्णु होता जा रहा था।
‘सींग निकलना’ दरअसल एक पशु-सुलभ विशेषता है, जो बताती है कि व्यक्ति संयम छोड़कर अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पा रहा।
यह एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी भी है कि शहर की ज़िन्दगी इंसान को मानसिक रूप से असंतुलित बना देती है, जहाँ वह अपने भीतर के मूल्यों को खोने लगता है।
इसलिए लेखक ने स्वयं को ‘सींग निकलने’ की अवस्था में देखकर जंगल की ओर पलायन करना अधिक सुरक्षित समझा।
Was this answer helpful?
0
0
Question: 2

गद्यांश में शहर से जंगल की ओर भागने का सांकेतिक कारण लेखक ने क्या माना है ?

Show Hint

लेखक के जंगल भागने का कारण केवल भय नहीं बल्कि सामाजिक थकावट और भावनात्मक शांति की तलाश है।
Updated On: Jul 17, 2025
  • आदमियों से डरना
  • जंगल की ओर आकर्षण
  • शहरी जीवन से घबराना
  • व्यवस्था से बचना
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is A

Solution and Explanation

गद्यांश की प्रारंभिक पंक्तियों में लेखक ने स्पष्ट किया है कि वह 'आदमियों से डरकर' जंगल भागा।
यह डर सिर्फ भौतिक नहीं, बल्कि मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर है।
लेखक को लग रहा था कि समाज में रहते-रहते उसके स्वभाव में उग्रता, क्रोध और हिंसा आ रही है — जो कि चिंताजनक है।
वह यह भी समझता है कि यदि वह इसी वातावरण में रहेगा तो उसकी मूल मानवीय संवेदनाएँ क्षीण हो जाएँगी।
इसलिए उसने आदमियों से दूर जाकर प्रकृति के बीच शांति खोजने का प्रयास किया।
यह भागना प्रतीक है उस अस्वस्थ मानसिक स्थिति का, जिसमें व्यक्ति सामाजिक व्यवस्था से पलायन की ओर बढ़ता है।
Was this answer helpful?
0
0
Question: 3

गद्यांश में ‘शेर’ प्रतीकार्थ है :

Show Hint

‘शेर’ का तात्पर्य यहाँ पर उस सत्तात्मक व्यवस्था से है, जिससे आम जन भयभीत होकर विरोध किए बिना झुकते चले जाते हैं।
Updated On: Jul 17, 2025
  • हिंसक पशु
  • व्यवस्था
  • जंगल का राजा
  • धनी वर्ग
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is B

Solution and Explanation

गद्यांश में ‘शेर’ का प्रयोग प्रतीक रूप में हुआ है, जो केवल एक हिंसक पशु या जंगल के राजा के रूप में प्रस्तुत नहीं है।
यहाँ ‘शेर’ उस सामाजिक या राजनीतिक व्यवस्था का प्रतीक है जो दूसरों को भय के बल पर नियंत्रित करती है।
शेर का मुँह खुला है, और छोटे-छोटे जानवर बिना किसी प्रतिरोध के उसके मुँह में जा रहे हैं — यह उस व्यवस्था को दर्शाता है जो डर और अनुशासन के नाम पर लोगों को स्वतः समर्पण करने को मजबूर करती है।
यह व्यवस्था इतनी शक्तिशाली बन जाती है कि व्यक्ति विरोध करने का साहस नहीं करता और अंधानुकरण करता चला जाता है।
लेखक ने शेर को देखकर झाड़ी में छिपकर अपने भय को स्वीकार किया, जिससे यह स्पष्ट है कि शेर का मुँह सामाजिक सत्ता का रूपक है।
Was this answer helpful?
0
0
Question: 4

जानवर शेर के मुँह में क्यों चले जा रहे थे ?

Show Hint

जानवरों का शेर के मुँह में जाना समाज में फैले अंधविश्वास और बिना सोचे-समझे परंपरा का अनुसरण करने का प्रतीक है।
Updated On: Jul 17, 2025
  • उससे भयभीत होने के कारण
  • किसी न किसी प्रेरणा के कारण
  • पारंपरिक नियम होने के कारण
  • अंधविश्वासी होने के कारण
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is D

Solution and Explanation

गद्यांश में जानवरों के शेर के मुँह में जाते जाने की जो बात कही गई है, वह एक प्रतीकात्मक दृश्य है।
यह दिखाता है कि वे बिना किसी प्रतिरोध के, बिना सोच-विचार के, एक लंबी लाइन में स्वयं विनाश की ओर बढ़ रहे हैं।
लेखक ने इस दृश्य को देखकर ‘ग़ज़ब की ग़ज़ल’ कहा — जो व्यंग्य है उस भीड़ की मानसिकता पर जो अंधभक्ति या अंधविश्वास के कारण तर्कहीन बन जाती है।
यहाँ यह संकेत मिलता है कि ये जानवर एक डर या प्रथा के चलते ऐसा कर रहे हैं — उन्हें लगता है कि ऐसा करना अनिवार्य या ठीक है।
परन्तु वास्तविकता में वे किसी विवेक या स्वतंत्र चिंतन से रहित होकर व्यवस्था के सामने आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
इसलिए यह कृत्य अंधविश्वास का परिणाम है, जिसमें तर्क और चेतना का अभाव होता है।
Was this answer helpful?
0
0
Question: 5

निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए :
कथन : जंगल के छोटे-मोटे जानवर शेर के मुँह में घुसे चले जा रहे थे।
कारण : शेर अहिंसावादी, न्यायप्रिय और बुद्ध का अवतार था।

Show Hint

कथन और कारण के प्रश्नों में कथन और कारण को अलग-अलग सत्यापन करना आवश्यक होता है। केवल दोनों सही होना पर्याप्त नहीं है, कारण कथन की व्याख्या भी करता हो यह ज़रूरी है।
Updated On: Jul 17, 2025
  • कथन गलत है, किंतु कारण सही है।
  • कथन तथा कारण दोनों गलत हैं।
  • कथन सही है, किंतु कारण, कथन की सही व्याख्या नहीं करता है।
  • कथन और कारण दोनों सही हैं तथा कारण, कथन की सही व्याख्या करता है।
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is C

Solution and Explanation

कथन में बताया गया है कि जंगल के छोटे-मोटे जानवर शेर के मुँह में घुसे चले जा रहे थे — यह बात गद्यांश में स्पष्ट रूप से कही गई है और यह प्रतीकात्मक अर्थ में प्रयुक्त हुई है।
यह कथन सही है क्योंकि लेखक ने देखा कि जानवर बिना किसी प्रतिरोध के लाइन में लगकर शेर के मुँह में समा रहे थे।
यह दृश्य भय, अंधश्रद्धा और निरंकुश सत्ता के सामने आत्मसमर्पण को दर्शाता है।
परंतु कारण में कहा गया है कि शेर अहिंसावादी, न्यायप्रिय और बुद्ध का अवतार था — यह कारण गद्यांश के भाव और आशय से मेल नहीं खाता।
गद्यांश में शेर को भय का प्रतीक और दमनकारी व्यवस्था का रूपक बताया गया है न कि न्यायप्रिय या अहिंसावादी किसी महापुरुष का।
इसलिए यह कारण न केवल कथन की सही व्याख्या नहीं करता बल्कि कथ्य-विरोधी प्रतीत होता है।
Was this answer helpful?
0
0

Top Questions on गद्यांश पर आधारित प्रश्न

View More Questions

Questions Asked in CBSE CLASS XII exam

View More Questions