Comprehension

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

संवेदनशील व्यक्तियों में एक गुण उनका है जिसकी वृत्ति लेखन है। लेखक कोई मनोरंजनप्रिय नहीं है। इसमें विचारों से जुड़ना पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए शब्द के सीमित संसार में अपनी भाषा को शब्दों में उतारना कष्टदायक भी हो जाता है। मगर जो अनुभूति, पीड़ा, हृदयस्पर्शी लेखन के हृदय में उमड़ता है, उसका अभिव्यक्त किया ही जाता है, भले ही पाठक कम हों या न हों। लेखक की एक कहानी में नायक लेखक है जिसकी कहानियों को कोई विशेष नहीं सुनता, मगर हर शाम वह घर लौटते वक्त घोड़े को अपनी कहानी सुनाता है। अनेक सृजनशील लेखकों के आरंभिक दौर में पाठक-प्रकाशक नहीं मिलते, किंतु वे निराश या गर्व में नहीं डूबते। जिनके पास कुछ ठोस कहन-लिखन की है, वे कभी चुनी हुई यात्राएँ नहीं थामते।

सृजन हलचल के अभिसरण नहीं है। यह कार्य पारंपरिक शक्तियों का है। लेखक कर्मठ नहीं माने गए हैं, जिसमें निवेदन के लिए अनुराग, निरंतरता और धैर्य आवश्यक होते हैं। आज सूचना के प्रसार में अद्वितीय बुद्धि में अधिक तीव्रता हो जाने से नए अर्थ नहीं लगाए जाने चाहिए कि लेखन, विचार और लिखित शब्द की गरिमा क्षीण हो रही है, बल्कि लिखने वालों पर यह दबाव है, कि समय का रास्ता बदल रहा है। डिजिटल तकनीक के प्रसार में जानने, सीखने, समझने के लिए आवश्यक जनों का स्थान पढ़ने-लिखने के बजाय बोलने-सुनने पर अधिक है। जब दुनिया अध्यात्मिकता की ओर बढ़ रही हो, तो लेखक-पाठक पुरानी शैली में कैसे हो सकते हैं।

पाठकों को भी कम्प्यूटर साधन अनुकूल और सुविधाजनक लगते हैं। मगर इससे लेखन की भूमिका गौण नहीं हुई है। नए विचारों की आवश्यकता बनी रहेगी। लेखक-पाठक का मुँहबंद शब्द के प्रति समर्पण कमतर नहीं हुआ है, उनके कहे-लिखे की प्रामाणिकता पर प्रश्नचिह्न नहीं उठेंगे और न उठे।

Question: 1

लेखक का उद्देश्य होता है —

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लेखन को केवल रोजगार या सम्मान का माध्यम न मानें; यह विचारों और भावनाओं की गहराई से जुड़ी एक साधना है।
Updated On: Jul 30, 2025
  • आर्थिक उपार्जन
  • भावनाओं की अभिव्यक्ति
  • मान-सम्मान की प्राप्ति
  • पाठकों की स्तुति
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The Correct Option is B

Solution and Explanation

गद्यांश के अनुसार लेखक का प्रमुख उद्देश्य अपने भावों, अनुभवों और पीड़ा को पाठकों तक पहुँचाना होता है। लेखक केवल आर्थिक लाभ या मान-सम्मान की प्राप्ति के लिए लेखन नहीं करता, बल्कि उसके हृदय में उपजी संवेदनाएँ, अनुभूतियाँ और विचार ही उसे लेखन की ओर प्रेरित करते हैं।
यहाँ लेखक को एक संवेदनशील व्यक्ति बताया गया है, जो सीमित संसार में रहते हुए भी अपनी बात को सशक्त रूप में प्रस्तुत करता है। वह अपने अनुभवों को इतना प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है कि पाठक उनसे जुड़ाव महसूस करता है।
लेखक की लेखनी किसी शोभा प्रदर्शन के लिए नहीं होती, बल्कि वह आत्म-प्रकाशन के माध्यम से समाज को दिशा देने का कार्य करती है। लेखक के लिए लेखन एक साधना के समान होता है, जिससे वह सतत अभ्यास और चिंतन द्वारा जीवन के विविध पक्षों को उजागर करता है।
गद्यांश में स्पष्ट उल्लेख है कि लेखक के पास अपनी पीड़ा और अनुभूतियों को पाठकों तक पहुँचाने की अद्भुत क्षमता होती है। वह अपनी लेखनी से पाठकों को प्रभावित करता है, परंतु उसका मूल उद्देश्य ‘भावनाओं की अभिव्यक्ति’ ही होता है, न कि आर्थिक लाभ या प्रसिद्धि अर्जन।
इसलिए दिए गए विकल्पों में से (B) ‘भावनाओं की अभिव्यक्ति’ ही लेखक के उद्देश्य को सही रूप में प्रस्तुत करता है।
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Question: 2

चेखव का उदाहरण यहाँ क्यों दिया गया है ?

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महान लेखकों के उदाहरण हमें सिखाते हैं कि आरंभिक असफलता लेखन यात्रा का हिस्सा है — धैर्य और निरंतर अभ्यास ही सफलता की कुंजी है।
Updated On: Jul 30, 2025
  • आरंभिक समय के संघर्ष से न घबराने के लिए
  • लेखक के जीवन की कठिनाइयों को दर्शाने के लिए
  • लेखन-कर्म की जटिलता को बताने के लिए
  • कहानी के नायक की सहनशीलता दर्शाने के लिए
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

गद्यांश में चेखव का उदाहरण इस बात को स्पष्ट करने के लिए दिया गया है कि सच्चा लेखक वही होता है जो आरंभिक कठिनाइयों, पाठकों की उपेक्षा, और प्रकाशन की कठिन प्रक्रियाओं के बावजूद लेखन करना जारी रखता है।
चेखव की उस कहानी का वर्णन किया गया है, जिसमें नायक लेखक बार-बार चिठ्ठियाँ लिखता है, पर कोई उसे नहीं सुनता। वह हर शाम बूट लौटाने पर चुपके से अपनी कहानी सुनाता है। यह उदाहरण इस ओर संकेत करता है कि एक लेखक को प्रारंभ में कई बार संघर्ष और अस्वीकृति का सामना करना पड़ता है।
लेकिन एक सच्चा लेखक इन सब बाधाओं से घबराता नहीं है, बल्कि अपने उद्देश्य और भावनाओं के प्रति दृढ़ रहता है। इसलिए लेखक ने चेखव के उदाहरण को प्रस्तुत कर यह स्पष्ट किया है कि लेखन-कर्म में निरंतरता, आत्मबल और धैर्य की अत्यंत आवश्यकता होती है।
इस प्रकार, विकल्प (A) ‘आरंभिक समय के संघर्ष से न घबराने के लिए’ इस प्रश्न का सही उत्तर है।
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Question: 3

निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यान से पढ़िए और सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए :
कथन: अनेक शीर्ष लेखक प्रारंभ में पाठक-प्रकाशक नहीं मिलने से नैराश्य के गर्त में नहीं डूबे।
कारण: विचारों की सत्यता और आगामी उपयोगिता के प्रति उन्हें कोई शंका नहीं रहती थी।

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किसी भी रचनाकार के लिए आत्मविश्वास उसकी सबसे बड़ी पूँजी होती है। प्रारंभिक अस्वीकृति को पार कर वही लेखक आगे सफल होता है जिसे अपने विचारों पर विश्वास होता है।
Updated On: Jul 30, 2025
  • कथन तथा कारण दोनों गलत हैं।
  • कारण सही है, किंतु कथन गलत है।
  • कथन तथा कारण दोनों सही हैं, किंतु कारण, कथन की ग़लत व्याख्या करता है।
  • कथन तथा कारण दोनों सही हैं तथा कारण, कथन की सही व्याख्या करता है।
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The Correct Option is D

Solution and Explanation

गद्यांश में बताया गया है कि कई प्रसिद्ध लेखक अपने लेखकीय जीवन की शुरुआत में पाठकों और प्रकाशकों की उपेक्षा का सामना करते हैं। इसके बावजूद वे नैराश्य में नहीं डूबते, क्योंकि उन्हें अपने विचारों की सत्यता और उनकी सामाजिक उपयोगिता पर पूर्ण विश्वास होता है।
इस आत्मविश्वास के बल पर वे लेखन का कार्य निरंतर जारी रखते हैं, भले ही शुरुआत में कोई उनकी रचनाओं को पढ़े या सराहे नहीं। यह स्पष्ट करता है कि कथन भी सही है और कारण भी। साथ ही कारण इस बात को स्पष्ट करता है कि लेखक क्यों निराश नहीं होते — क्योंकि उन्हें अपने विचारों की महत्ता पर कोई संदेह नहीं होता।
अतः विकल्प (D) — “कथन तथा कारण दोनों सही हैं तथा कारण, कथन की सही व्याख्या करता है।” — सही उत्तर है।
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Question: 4

लेखन कर्म का रूप क्यों बदल रहा है ?

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नवीन संचार माध्यमों और बदलते सामाजिक संदर्भों के कारण लेखन अब स्थिर नहीं रहा — यह निरंतर विकसित हो रहा है।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

समय के साथ लेखन-कर्म के रूप में कई परिवर्तन हुए हैं। पहले लेखन केवल साहित्य या समाचार तक सीमित था, लेकिन अब यह ज्ञान, सूचना, प्रचार, और संवाद का सशक्त माध्यम बन गया है। बदलते समाज, प्रौद्योगिकी में विकास और डिजिटल उपकरणों के प्रभाव से लेखन का उद्देश्य, शैली और विधियाँ बदल गई हैं।
वर्तमान में लेखक को केवल लिखना ही नहीं, बल्कि अपने विचारों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करना, समझाना और पाठकों से संवाद स्थापित करना भी आ गया है। यह परिवर्तन लेखन को अधिक जीवंत, संवादात्मक और सामाजिक सरोकारों से युक्त बना रहा है।
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Question: 5

लेखन को ‘मशीनी-क्रिया’ क्यों नहीं कहा जा सकता ?

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लेखन न केवल बौद्धिक, बल्कि भावनात्मक एवं संवेदनात्मक श्रम का भी परिणाम होता है — यह कभी यंत्रवत नहीं हो सकता।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

'मशीनी-क्रिया' शब्द का तात्पर्य किसी ऐसी क्रिया से है जो यांत्रिक, दोहरावपूर्ण और भावना रहित हो। लेकिन लेखन एक ऐसी रचनात्मक प्रक्रिया है जिसमें लेखक का अनुभव, भावनाएँ, सोच और विश्लेषण जुड़ा होता है।
लेखन में लेखक अपनी आत्मा, दृष्टिकोण और संवेदनशीलता समाहित करता है। वह केवल जानकारी नहीं देता, बल्कि पाठकों की सोच को भी प्रभावित करता है। गद्यांश में यह भी कहा गया है कि जब लेखन में आत्मानुभूति नहीं होती, तो वह केवल शब्दों की भरमार बन कर रह जाता है।
इसलिए लेखन को ‘मशीनी-क्रिया’ कहना लेखन की भावनात्मक गहराई और रचनात्मकता का अपमान होगा।
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Question: 6

डिजिटल क्रांति का लेखन-क्षेत्र में क्या प्रभाव दिखाई देता है ?

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डिजिटल युग ने लेखन को अधिक सार्वभौमिक और अंतःक्रियात्मक (interactive) बना दिया है — अब लेखक अकेला नहीं, संवाद में है।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

डिजिटल क्रांति ने लेखन के स्वरूप को पूरी तरह से परिवर्तित कर दिया है। अब लेखन केवल मुद्रित रूप में सीमित नहीं रहा, बल्कि ऑनलाइन मंचों जैसे ब्लॉग, सोशल मीडिया, ई-बुक्स और वेब-पत्रिकाओं में फैल गया है।
गद्यांश में यह भी संकेत मिलता है कि डिजिटल तकनीकों ने पाठकों की समझने, ग्रहण करने और प्रतिक्रिया देने की शैली को भी प्रभावित किया है। लेखक को अब डिजिटली साक्षर होना आवश्यक है ताकि वह अपने पाठकों से संवाद कर सके।
डिजिटल युग में लेखन का स्वरूप अधिक गतिशील, दृश्यात्मक और संवादपरक हो गया है। यह रचनात्मकता के साथ-साथ तकनीकी दक्षता की भी मांग करता है।
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Question: 7

‘नए किरदारों की आवश्यकता तो बरक़रार रहेगी’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

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हर युग में साहित्य और लेखन को नया जीवन देने वाले 'किरदार' आवश्यक होते हैं — यही साहित्य की जीवंतता है।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

इस पंक्ति का आशय है कि समाज, तकनीक और भाषा में चाहे जितने भी बदलाव आ जाएँ, हमेशा ऐसे लेखकों, विचारकों और पात्रों की आवश्यकता बनी रहेगी जो मानवता, नैतिकता और सच्चाई की आवाज़ बन सकें।
गद्यांश में लेखक संकेत करता है कि नए युग की आवश्यकताओं और जटिलताओं के अनुरूप लेखन में भी नए विचारों, दृष्टिकोणों और संवेदनशीलता से युक्त ‘नए किरदारों’ की जरूरत होगी। ये किरदार समाज के लिए प्रेरणा, मार्गदर्शन और चेतना का कार्य करेंगे।
यह कथन लेखन और साहित्य की निरंतर सामाजिक उपयोगिता और परिवर्तनशीलता को रेखांकित करता है।
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