Question:

‘पहलवान की ढोलक’ कहानी व्यवस्था बदलने के साथ लोक–कला और उससे जुड़े कलाकारों के उपेक्षित हो जाने की कहानी है। सिद्ध कीजिए।

Show Hint

लोककला को जीवित रखने के लिए केवल संरक्षण नहीं, बल्कि सक्रिय सामाजिक भागीदारी ज़रूरी है।
Updated On: Jul 29, 2025
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Solution and Explanation

‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में यह दर्शाया गया है कि किस प्रकार समय के साथ समाज की व्यवस्थाएँ और प्राथमिकताएँ बदल जाती हैं, और उनके साथ लोक कलाएँ और कलाकार भी हाशिये पर चले जाते हैं।
कभी जो ढोलक और लोकनृत्य उत्सवों की शोभा होते थे, वे अब उपेक्षित हैं। कलाकारों को आमदनी नहीं मिलती, मंच नहीं मिलता, और न ही सामाजिक सम्मान। नए मनोरंजन के साधन जैसे टीवी, मोबाइल और इंटरनेट ने लोक-कला को अप्रासंगिक बना दिया है।
यह कहानी न केवल एक कलाकार की पीड़ा है, बल्कि उस सांस्कृतिक विरासत की दुर्दशा का भी चित्रण है जो कभी हमारी पहचान थी।
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