Question:

निम्नलिखित संस्कृत गद्यांश का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए : अलक्षेन्द्रः – भारतं एकं राष्ट्रम् इति तव वचनं विरुद्धम् । इह तावत् राजानः जनाः च परस्परं द्रुह्यन्ति । पुरुराजः - तत् सर्वम् अस्माकम् आन्तरिकः विषयः । बाह्यशक्तेः तत्र हस्तक्षेपः असह्यः यवनराज ! पृथग्धर्माः पृथग्भाषाभूषा अपि वयं सर्वे भारतीयाः । विशालम् अस्माकं राष्ट्रम् । 
 

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संवाद का अनुवाद करते समय, प्रत्येक पात्र के कथन को अलग-अलग पंक्तियों में लिखें और पात्र का नाम स्पष्ट रूप से दर्शाएँ। इससे संवाद का स्वरूप बना रहता है और उत्तर स्पष्ट होता है।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

सन्दर्भ:
प्रस्तुत नाट्य-संवाद हमारी पाठ्य-पुस्तक के 'संस्कृत खण्ड' में संकलित 'वीरः वीरेण पूज्यते' (वीर के द्वारा वीर पूजा जाता है) नामक पाठ से उद्धृत है। इसमें सिकन्दर (अलक्षेन्द्र) और पुरुराज (पोरस) के बीच हुए संवाद के माध्यम से पुरुराज की वीरता और देशभक्ति को दर्शाया गया है।
हिन्दी में अनुवाद:
सिकन्दर: – 'भारत एक राष्ट्र है', तुम्हारा यह कथन गलत है। यहाँ तो राजा और प्रजा आपस में द्वेष रखते (लड़ते) हैं।
पुरुराज: – वह सब हमारा आन्तरिक (अंदरूनी) विषय है। हे यवनराज! उसमें बाहरी शक्ति का हस्तक्षेप असहनीय है। हम सब भारतीय अलग-अलग धर्मों वाले, अलग-अलग भाषाओं और वेशभूषा वाले होते हुए भी, हम सब भारतीय हैं। हमारा राष्ट्र विशाल है।
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