(i) आतंकवाद की समस्या एवं समाधान
प्रस्तावना:
आतंकवाद आज के युग की सबसे भयानक समस्या है। यह केवल किसी एक देश की नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता की समस्या है। आतंकवाद का उद्देश्य समाज में भय और अस्थिरता फैलाना होता है।
आतंकवाद के कारण:
1. राजनीतिक असंतोष और सत्ता–लोभ।
2. धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता।
3. आर्थिक असमानता और बेरोज़गारी।
4. विदेशी शक्तियों द्वारा प्रायोजित हिंसा।
आतंकवाद के दुष्परिणाम:
आतंकवाद के कारण निर्दोष लोग मारे जाते हैं, राष्ट्रीय एकता को क्षति पहुँचती है और विकास का मार्ग रुक जाता है। यह युवाओं को गलत दिशा में ले जाता है।
समाधान:
1. शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रीय एकता की भावना विकसित की जाए।
2. सरकार को आतंकवादियों के वित्तीय स्रोतों पर नियंत्रण करना चाहिए।
3. युवाओं को रोजगार और सही मार्गदर्शन देना आवश्यक है।
4. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग से आतंकवाद का दमन किया जा सकता है।
उपसंहार:
आतंकवाद मानवता के लिए अभिशाप है। इसे समाप्त करने के लिए राष्ट्र, समाज और व्यक्ति — सभी को मिलकर कार्य करना होगा।
(ii) बेरोज़गारी की समस्या एवं समाधान
प्रस्तावना:
भारत जैसे विकासशील देश में बेरोज़गारी एक गंभीर समस्या है। शिक्षित युवाओं की संख्या बढ़ रही है, पर रोजगार के अवसर सीमित हैं।
बेरोज़गारी के कारण:
1. जनसंख्या–वृद्धि।
2. शिक्षा प्रणाली का व्यावहारिकता से दूर होना।
3. उद्योगों और तकनीकी क्षेत्रों में सीमित अवसर।
4. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साधनों की कमी।
बेरोज़गारी के दुष्परिणाम:
बेरोज़गारी से व्यक्ति निराश और असामाजिक हो जाता है। इससे अपराध, गरीबी और आत्महत्या जैसी समस्याएँ बढ़ती हैं।
समाधान:
1. व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए।
2. स्वरोजगार योजनाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए।
3. ग्रामीण उद्योग और कृषि आधारित रोजगार विकसित किए जाएँ।
4. जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक है।
उपसंहार:
जब हर हाथ को काम मिलेगा, तभी राष्ट्र उन्नति की ओर बढ़ेगा। बेरोज़गारी का समाधान ही समृद्ध भारत की नींव है।
(iii) छात्र और अनुशासन
प्रस्तावना:
अनुशासन मानव जीवन का आधार है। छात्र जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व है क्योंकि यह जीवन की दिशा निर्धारित करता है।
अनुशासन का महत्व:
अनुशासन से व्यक्ति का चरित्र और व्यक्तित्व दोनों विकसित होते हैं। यह सफलता की पहली शर्त है। बिना अनुशासन के न तो शिक्षा प्राप्त हो सकती है, न जीवन में लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
अनुशासनहीनता के परिणाम:
अनुशासनहीनता से जीवन में अव्यवस्था, असफलता और पतन आता है। यह समाज और राष्ट्र के लिए भी हानिकारक है।
अनुशासन कैसे लाया जाए:
1. माता–पिता और शिक्षक बच्चों को अनुशासन का महत्व समझाएँ।
2. विद्यालयों में कठोर नियमों का पालन हो।
3. आत्म–संयम और समय–पालन की आदत विकसित की जाए।
उपसंहार:
अनुशासन में ही सफलता का रहस्य छिपा है। अनुशासित छात्र ही देश का सच्चा नागरिक और भविष्य का निर्माता होता है।
(iv) प्रदूषण की समस्या एवं समाधान
प्रस्तावना:
विज्ञान के युग में जहाँ मानव ने प्रगति की नई ऊँचाइयाँ छुई हैं, वहीं प्रदूषण की समस्या ने उसके अस्तित्व को संकट में डाल दिया है।
प्रदूषण के प्रकार:
1. वायु प्रदूषण — वाहनों और कारखानों से निकलने वाले धुएँ से।
2. जल प्रदूषण — नदियों में कचरा और औद्योगिक अपशिष्ट डालने से।
3. ध्वनि प्रदूषण — लाउडस्पीकर और यातायात के शोर से।
4. भूमि प्रदूषण — प्लास्टिक और रासायनिक उर्वरकों से।
दुष्परिणाम:
प्रदूषण के कारण मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है — श्वास रोग, कैंसर और पर्यावरणीय असंतुलन। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं।
समाधान:
1. वृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिए।
2. प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर नियंत्रण किया जाए।
3. प्लास्टिक के स्थान पर पुनर्चक्रण योग्य वस्तुओं का उपयोग।
4. स्वच्छ ऊर्जा (सौर, पवन) का प्रयोग बढ़ाना चाहिए।
उपसंहार:
स्वच्छ पर्यावरण ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है। प्रदूषण–नियंत्रण हर नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए। मिल–जुलकर प्रयास ही इस समस्या का स्थायी समाधान है।