(i) विज्ञान : वरदान या अभिशाप
परिचय:
विज्ञान आधुनिक युग की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसके बिना आज का जीवन असंभव है। विज्ञान ने जहाँ जीवन को सुखमय और सुविधाजनक बनाया है, वहीं इसके दुरुपयोग से मानव जीवन संकटग्रस्त भी हुआ है। इसलिए इसे वरदान भी कहा जाता है और अभिशाप भी।
विज्ञान का वरदान:
विज्ञान ने संचार, परिवहन, शिक्षा, चिकित्सा और कृषि में अद्भुत क्रांति ला दी है। मोबाइल, इंटरनेट, कम्प्यूटर, विमान और रेल ने समय और दूरी की बाधा मिटा दी है। चिकित्सा क्षेत्र में असाध्य रोगों का उपचार संभव हुआ है। कृषि में आधुनिक यंत्रों और वैज्ञानिक तकनीकों से उत्पादन बढ़ा है। अंतरिक्ष विज्ञान ने मानव को चाँद और मंगल तक पहुँचा दिया।
विज्ञान का अभिशाप:
जहाँ विज्ञान ने हमें अनेक सुविधाएँ दीं, वहीं इसका दुरुपयोग भी हुआ। परमाणु बम, रासायनिक हथियार, प्रदूषण, वैश्विक ऊष्मीकरण और यांत्रिक जीवन ने मानवता को संकट में डाल दिया। लोग मशीनों पर निर्भर होकर मानवीय भावनाओं से दूर होते जा रहे हैं।
निष्कर्ष:
विज्ञान न तो पूर्ण वरदान है, न पूर्ण अभिशाप। यह इस पर निर्भर करता है कि हम इसका प्रयोग कैसे करते हैं। सदुपयोग से यह मानवता का वरदान है और दुरुपयोग से अभिशाप।
(ii) बेरोजगारी की समस्या और समाधान
परिचय:
भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। युवा पढ़ाई पूरी करने के बाद भी नौकरी के लिए भटकते रहते हैं। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति में भी बाधा उत्पन्न करती है।
बेरोजगारी के कारण:
बेरोजगारी के मुख्य कारण हैं – जनसंख्या वृद्धि, शिक्षा प्रणाली का व्यावहारिक न होना, उद्योगों और रोजगार के अवसरों का अभाव, खेती पर अत्यधिक निर्भरता और तकनीकी पिछड़ापन। साथ ही भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता भी इस समस्या को बढ़ाती है।
प्रभाव:
बेरोजगारी से गरीबी, अपराध, चोरी, नशाखोरी और आत्महत्या जैसी घटनाएँ बढ़ती हैं। युवा वर्ग निराशा और अवसाद में डूब जाता है। राष्ट्र की उन्नति ठहर जाती है क्योंकि बेरोजगार युवा ऊर्जा निष्क्रिय हो जाती है।
समाधान:
इस समस्या का समाधान शिक्षा को रोजगारपरक बनाना है। तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा पर बल देना चाहिए। छोटे उद्योगों और स्वरोजगार को बढ़ावा देना चाहिए। कृषि में वैज्ञानिक पद्धतियों और आधुनिक साधनों का प्रयोग करना चाहिए। सरकार को बेरोजगारी हटाने के लिए ठोस नीतियाँ बनानी होंगी।
निष्कर्ष:
बेरोजगारी की समस्या तभी समाप्त होगी जब युवा वर्ग को उचित अवसर मिलेगा। यदि इस समस्या का समाधान हो जाए तो भारत विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बन सकता है।
(iii) जल है, तो कल है
परिचय:
जल जीवन का आधार है। यह धरती पर सबसे अनमोल संपत्ति है। बिना जल के जीवन की कल्पना असंभव है। किंतु आज जल संकट पूरी दुनिया के सामने एक गंभीर समस्या बन गया है।
जल का महत्त्व:
जल पीने, भोजन बनाने, उद्योग चलाने, खेती करने और स्वच्छता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। नदियाँ, झीलें और समुद्र न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का आधार हैं बल्कि मानव सभ्यता की धुरी भी हैं।
जल संकट की समस्या:
जनसंख्या वृद्धि, जल का अंधाधुंध उपयोग, प्रदूषण और वर्षा पर अत्यधिक निर्भरता ने जल संकट को गहरा दिया है। कई बड़े शहरों में लोग पानी के लिए लंबी कतारों में खड़े होते हैं। भविष्य में पानी का युद्ध होने की आशंका भी जताई जा रही है।
समाधान:
वर्षा जल संचयन, नदियों की सफाई, वृक्षारोपण, जल का विवेकपूर्ण उपयोग और जन-जागरूकता ही जल संकट को दूर कर सकते हैं। "जल बचाओ" अभियान को जन–आंदोलन का रूप देना होगा।
निष्कर्ष:
यदि आज हम जल बचाएँगे तो आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित होगा। सच है—"जल है, तो कल है।"
(iv) विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व
परिचय:
विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के पूरे जीवन की नींव है। यह वह समय है जब व्यक्ति का चरित्र और भविष्य निर्माण होता है। इस अवधि में अनुशासन का पालन अत्यंत आवश्यक है।
अनुशासन का महत्त्व:
अनुशासन का अर्थ है—समय का पालन करना, नियमों का पालन करना और जीवन को एक सही दिशा में ढालना। अनुशासन से ही व्यक्ति शिक्षा, ज्ञान और संस्कार प्राप्त कर सकता है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का पालन करने से वह जीवन भर सफल होता है।
अनुशासनहीनता के परिणाम:
यदि विद्यार्थी अनुशासनहीन हो जाए तो वह पढ़ाई में पिछड़ जाता है, शिक्षक और माता–पिता का विश्वास खो देता है और समाज में सम्मान भी नहीं पाता। उसका भविष्य अंधकारमय हो जाता है।
उदाहरण:
पढ़ाई में नियमितता, समय पर कार्य करना, खेलों में ईमानदारी, शिक्षकों का सम्मान—ये सभी अनुशासन के उदाहरण हैं। अनुशासन से विद्यार्थी में नेतृत्व क्षमता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
निष्कर्ष:
अनुशासन ही सफलता की कुंजी है। अनुशासित विद्यार्थी ही आगे चलकर अच्छा नागरिक बनकर राष्ट्र की प्रगति में योगदान कर सकता है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का पालन करना सबसे बड़ा कर्तव्य है।