(i) देश–प्रेम
परिचय:
देश–प्रेम का अर्थ है अपने देश के प्रति निष्ठा, सम्मान और सेवा का भाव। जिस प्रकार माता–पिता का सम्मान करना संतान का कर्तव्य होता है, उसी प्रकार देश का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का सर्वोच्च धर्म है। भारत जैसे विशाल और विविधता–पूर्ण देश में देश–प्रेम ही वह सूत्र है जो सबको एकता के बंधन में बाँधता है।
ऐतिहासिक उदाहरण:
भारत का इतिहास देश–भक्तों की गाथाओं से भरा पड़ा है। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, मंगल पाण्डे, भगत सिंह, राजगुरु, चन्द्रशेखर आज़ाद, सुभाषचन्द्र बोस और महात्मा गाँधी जैसे वीरों ने अपना जीवन देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान कर दिया।
महत्त्व:
देश–प्रेम से नागरिकों में त्याग और बलिदान की भावना उत्पन्न होती है। यह राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाता है और राष्ट्र को प्रगति की ओर अग्रसर करता है। बिना देश–प्रेम के कोई भी राष्ट्र शक्तिशाली नहीं बन सकता।
निष्कर्ष:
देश–प्रेम केवल भाषणों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि हमें अपने कर्मों से इसे सिद्ध करना चाहिए। स्वच्छता, ईमानदारी, निष्ठा और अनुशासन भी देश–प्रेम के ही रूप हैं।
(ii) आतंकवाद की समस्या और समाधान
परिचय:
आतंकवाद आधुनिक युग की सबसे बड़ी वैश्विक समस्या है। यह निर्दोष लोगों की हत्या, भय और अशांति फैलाने का एक अमानवीय कार्य है। आज विश्व का कोई भी देश आतंकवाद से अछूता नहीं है। भारत भी लंबे समय से आतंकवाद की समस्या से जूझ रहा है।
कारण:
आतंकवाद के कई कारण हैं – धार्मिक कट्टरता, राजनीतिक स्वार्थ, शिक्षा का अभाव, बेरोजगारी, गरीबी और विदेशी शक्तियों का हस्तक्षेप। कई बार पड़ोसी राष्ट्र भी आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।
परिणाम:
आतंकवाद से देश की शांति और विकास बाधित होता है। आम नागरिक असुरक्षा का अनुभव करते हैं। सैनिकों और पुलिस बलों को निरंतर बलिदान देना पड़ता है। अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है।
समाधान:
कठोर कानून, सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना, आतंकवादियों को पनाह देने वाले देशों पर कड़ी कार्रवाई, युवाओं को शिक्षा और रोजगार उपलब्ध कराना और जनता को जागरूक करना – ये सभी समाधान आतंकवाद को समाप्त करने में सहायक होंगे।
निष्कर्ष:
आतंकवाद केवल किसी एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरा है। इसके खिलाफ सबको मिलकर प्रयास करना होगा।
(iii) प्रदूषण और मानव–जीवन
परिचय:
प्रकृति ने हमें स्वच्छ वायु, जल और हरियाली प्रदान की है। किंतु मानव ने अंधाधुंध औद्योगीकरण, वाहन–प्रदूषण और वनों की कटाई से प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ दिया है। इसका सबसे बड़ा परिणाम प्रदूषण है।
प्रदूषण के प्रकार:
1. वायु प्रदूषण – वाहनों का धुआँ, कारखानों की गैसें।
2. जल प्रदूषण – नदियों और तालाबों में कचरा और रासायनिक अपशिष्ट।
3. ध्वनि प्रदूषण – लाउडस्पीकर, पटाखे और मशीनों की आवाज़।
4. भूमि प्रदूषण – प्लास्टिक और अपशिष्ट पदार्थों का ढेर।
मानव जीवन पर प्रभाव:
प्रदूषण से अनेक बीमारियाँ फैलती हैं – श्वसन रोग, कैंसर, हृदय रोग। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन भी प्रदूषण का ही परिणाम हैं। फसलें नष्ट होती हैं और पेयजल संकट गहराता है।
निवारण के उपाय:
वृक्षारोपण करना, सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग, उद्योगों पर नियंत्रण, प्लास्टिक का कम उपयोग और जन–जागरूकता फैलाना – ये उपाय प्रदूषण की समस्या को कम कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
स्वच्छ पर्यावरण ही स्वस्थ जीवन की गारंटी है। यदि अभी ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाली पीढ़ियाँ असुरक्षित भविष्य का सामना करेंगी।
(iv) आज़ादी का अमृत महोत्सव
परिचय:
भारत ने 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। सन् 2022 में जब स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण हुए, तब पूरे देश में "आज़ादी का अमृत महोत्सव" मनाया गया।
महत्त्व:
इस महोत्सव का उद्देश्य स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करना और युवाओं में देश–भक्ति की भावना जाग्रत करना है। इस अवसर पर तिरंगा यात्रा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण प्रतियोगिताएँ और स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित प्रदर्शनियाँ आयोजित की गईं।
प्रभाव:
आज़ादी का अमृत महोत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह स्मरण कराता है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। यह महोत्सव नए भारत की कल्पना प्रस्तुत करता है – आत्मनिर्भर और सशक्त भारत की।
निष्कर्ष:
आज़ादी का अमृत महोत्सव हमें प्रेरणा देता है कि हम सब मिलकर राष्ट्र को प्रगति की ओर ले जाएँ और स्वतंत्रता की रक्षा करें।