चरण 1: भारतीय परम्परा के दार्शनिक।
कपिल सांख्य दर्शन के प्रवर्तक माने जाते हैं; उन्होंने पुरुष और प्रकृति को मूल तत्त्व मानकर मुक्तिपथ समझाया। गौतम न्यायसूत्र के रचयिता हैं और प्रमाण, तर्क-विधि तथा हेत्वाभास का संघटित ढाँचा देते हैं। कणाद वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक हैं, जिन्होंने द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय जैसे पदार्थों का वर्गीकरण किया। ये तीनों भारतीय दार्शनिक परम्परा के प्रमुख स्तम्भ हैं।
चरण 2: देकार्त का परिचय।
रेने देकार्त सत्रहवीं शताब्दी के फ्रांसीसी दार्शनिक हैं, जिन्हें आधुनिक पाश्चात्य दर्शन का जनक कहा जाता है। वे रैशनलिस्ट परम्परा, मन–शरीर द्वैतवाद और अन्तः-क्रियावाद के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका कार्य भारतीय शास्त्रीय परम्परा का हिस्सा नहीं है।
चरण 3: निष्कर्ष।
अतः दिए गए विकल्पों में भारतीय दार्शनिक नहीं होने वाला विकल्प देकार्त है, जबकि कपिल, गौतम और कणाद भारतीय आस्तिक दर्शनों के प्रतिनिधि हैं।