Question:

'कर्म' शब्द की उत्पत्ति हुई है—

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कर्म = √कृ (कर) + प्रत्यय → "कर्मन्"—व्याकरण में कर्म कारक, दर्शन में कर्म-फल की धारणा।
  • 'कृ' धातु से
  • 'लु' धातु से
  • 'कर्म' धातु से
  • इनमें से कोई नहीं
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

संस्कृत में 'कर्म' (कर्मन्) शब्द का व्युत्पत्तिस्रोत धातु √कृ (करोति—कर) है, जिसका अर्थ "करना/सृजन करना" होता है। धातु कृ पर प्रत्यय (जैसे 'मनिन्'/कर्मनिर्देशक) लगने से 'कर्मन्' रूप बनता है—अर्थ किया हुआ कार्य, कृत्य या क्रिया का फल/विषय। व्याकरण में यही कर्म कारक कहलाता है (कर्म = क्रिया का object). भारतीय दर्शन/धर्मशास्त्र में 'कर्म' का प्रयोग नैतिक-धार्मिक अर्थ में भी होता है—किए गए सद्/दुश् कर्मों का फल जन्म-जन्मान्तर में भोगा जाता है। 'लु' कोई धातु नहीं है; (3) में 'कर्म' स्वयं व्युत्पन्न रूप है, धातु नहीं—इसलिए सही विकल्प कृ धातु है।
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