भारतीय दर्शन का मूल प्रेरक मुक्ति/परम-कल्याण की खोज है, इसलिए इसकी दृष्टि मूलतः आध्यात्मिक मानी जाती है। उपनिषदों से लेकर बौद्ध-जैन, योग, वेदान्त—सभी का केन्द्र दुःखनिवारण, आत्म-साक्षात्कार, ब्रह्म/निर्वाण/कैवल्य जैसी परम अवस्था है। बौद्धिक तर्क, विश्लेषण, मीमांसा अवश्य प्रयुक्त होते हैं, पर वे साधन हैं; लक्ष्य आंतरिक शान्ति और परम सत्य की प्राप्ति है। अतः विकल्प (3) उपयुक्त है।
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Top Questions on Nature and Schools of Indian Philosophy