भावार्थ:
भारतीय दर्शनों (श्रमण परम्परा, उपनिषद् आदि) की खोज का मूल प्रेरण-तत्व आध्यात्मिक असन्तोष/मुक्ति-अन्वेषण है—"क्या है परम सत्य? दुःख-निवृत्ति कैसे?" भ्रम-निवारण:
न पलायनवादी, न निराशावादी; न ही केवल भौतिक सुख। लौकिक सफलताओं के बावजूद अंतिम शान्ति/मोक्ष का अन्वेषण ही मूल प्रेरणा है। इसलिए 'आध्यात्मिक असन्तोष' उपयुक्त कारण है।
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