Comprehension

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

मैं किसी पर भरोसा करना चाहती हूँ
भरोसा करने के बाद चीज़ें बदल जाती हैं
जैसे कि यह मेज़
जो पहले मुझे ऊँची और खुदगर्ज़ी लगती थी
पर अब मैं इस पर घंटों काम कर सकती हूँ।

तार पर सूखते कपड़े उतारते समय
बरामदे से जो दृश्य दीखता है
उसमें से आती शाम
अधिक हरी होकर आती है
साफ़ और नए लगते हैं उसके कपड़े
जैसे वह कहीं घूमने जा रही हो

स्वप्न में अक्सर
इम्तिहान का कमरा और रेलवे प्लेटफॉर्म
आते थे

गणित, भौतिकशास्त्र और अंग्रेज़ी के पर्चे
ख़राब हो जाते थे
प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँचते ही छूट जाती थी रेल
पर अब ऐसा नहीं होता

काम समय पर होते हैं कुछ नहीं भी होते
सब कुछ मगर उतना निराशाजनक नहीं
लगता

अब जबकि
दुनिया एक गाँव बनने जा रही है
और एक विश्व बाज़ार है जिसमें
हम सब बिला जाएँगे

कितना जोखिम भरा शब्द हो गया है भरोसा
और उससे भी बड़ा जोखिम है उसे बचाना
क्योंकि वही बदलता है चीज़ों को
वही बचाता है स्मृतियों को
 

Question: 1

भरोसा करने के बाद चीज़ें कैसे बदल जाती हैं?

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विश्वास वह दृष्टिकोण है जो साधारण को भी विशेष बना देता है — इसलिए भरोसा बदलाव की शुरुआत है।
Updated On: Jul 30, 2025
  • उनसे लगाव और स्नेह हो जाता है।
  • उनसे अपरिचय खत्म हो जाता है।
  • उन पर विश्वास जीवन में सकारात्मकता लाता है।
  • उन्हें देखने का हमारा नज़रिया बदल जाता है।
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

भरोसा करना केवल संबंधों को नहीं, जीवन दृष्टिकोण को भी प्रभावित करता है।
जब हम किसी चीज़, व्यक्ति या अनुभव पर भरोसा करते हैं, तो उसमें छिपी अच्छाइयों को महसूस करने लगते हैं।
यह विश्वास हमारी सोच में सकारात्मकता भरता है, जिससे हम नए अनुभवों को आत्मसात करने लगते हैं।
इसलिए विकल्प (C) सबसे उपयुक्त और गहराई से संबंधित उत्तर है।
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Question: 2

निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए :
कथन : सपने में अक्सर इतिहास का कमरा और रेलवे के प्लेटफ़ॉर्म आते थे।
कारण : जिन चीज़ों के प्रति हमारे अंतर्मन में भय होता है, वे अवचेतन में आती हैं।

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यदि कारण कथन के पीछे की व्याख्या करता हो, तो वह केवल सत्य नहीं, "उचित व्याख्या" भी कहलाता है — यह अंतर उत्तर चुनते समय स्पष्ट रखें।
Updated On: Jul 30, 2025
  • कथन ग़लत है, परन्तु कारण सही है।
  • कथन सही है, परन्तु कारण ग़लत है।
  • कथन और कारण दोनों सही हैं और कारण, कथन की उचित व्याख्या करता है।
  • कथन और कारण दोनों सही हैं, परन्तु कारण, कथन की उचित व्याख्या नहीं करता है।
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

कथन सही है क्योंकि कवि कहता है कि उसके सपनों में इतिहास की कक्षा और रेलवे प्लेटफ़ॉर्म बार-बार आते हैं — ये ऐसे अनुभव हैं जो पूर्व तनाव से जुड़े रहे होंगे।
कारण भी सही है क्योंकि मनोवैज्ञानिक रूप से यह प्रमाणित है कि अवचेतन मन उन्हीं विषयों को बार-बार सामने लाता है जो व्यक्ति के भीतर चिंता या भय के साथ गहरे जुड़े होते हैं।
दोनों कथन और कारण न केवल सत्य हैं बल्कि कारण कथन की स्पष्ट और तर्कसंगत व्याख्या भी करता है।
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Question: 3

काव्यांश के आधार पर कवयित्री के बारे में कौन-सी बात सत्य प्रतीत होती है ?

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काव्यांश आधारित प्रश्नों में वही तथ्य चुनें जो पाठ में स्पष्ट रूप से कहा गया हो — अनुमानित या अतिशयोक्तिपूर्ण विचारों से बचें।
Updated On: Jul 30, 2025
  • उसे किसी पर भी भरोसा नहीं होता।
  • गणित, भौतिकी और अंग्रेज़ी उसके लिए कठिन विषय थे।
  • वह एक निराशावादी व्यक्ति है।
  • उसे ऊँची और खुद्दारी मिज़ाज पसंद थी।
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The Correct Option is B

Solution and Explanation

कवयित्री के आत्मकथ्यात्मक शैली में लिखा गया काव्यांश यह संकेत देता है कि उसे विद्यालय में पढ़ाई में कठिनाई होती थी,
विशेषकर गणित, भौतिकी और अंग्रेज़ी जैसे विषय उसके लिए कठिन थे — यह बात स्पष्ट रूप से पंक्तियों में कही गई है।
विकल्प (A) अतिशयोक्ति है — वह भरोसे के बारे में सोचती जरूर है, पर पूर्णतः इनकार नहीं करती।
विकल्प (C) कवयित्री का दृष्टिकोण निराशावादी नहीं बल्कि संवेदनशील और आत्मविश्लेषणात्मक है।
विकल्प (D) में उल्लिखित 'खुद्दारी मिज़ाज' की पुष्टि काव्यांश में स्पष्ट रूप से नहीं होती।
इसलिए सबसे उपयुक्त और सत्य विकल्प है — (B)
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Question: 4

कविता का शीर्षक क्या हो सकता है ? अपने शीर्षक के लिए उचित कारण एक वाक्य में दीजिए।

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शीर्षक केवल शब्द नहीं, कविता की आत्मा की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति होता है — इसलिए प्रतीकों के आधार पर शीर्षक चुनना अधिक सार्थक होता है।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

Suggested Title: “भरोसे का स्टेशन”
Reason:
यह शीर्षक कविता के केन्द्रीय भाव और प्रतीकों को समाहित करता है। कविता में कवयित्री ने रेल और प्लेटफ़ॉर्म जैसे प्रतीकों के माध्यम से भरोसे, प्रतीक्षा, परिवर्तन और संवेदनाओं को व्यक्त किया है। रेलगाड़ी जीवन की गति, समय और संबंधों की प्रतीक्षा का प्रतीक बनती है। प्लेटफॉर्म एक ऐसा स्थल बन जाता है जहाँ कवयित्री ने कई भावनात्मक पड़ाव देखे, और वहाँ पर भरोसे की गहराई और विघटन दोनों अनुभव किए। इसलिए ‘भरोसे का स्टेशन’ शीर्षक न केवल उपयुक्त प्रतीकात्मकता रखता है, बल्कि कविता की आत्मा को भी पकड़ता है।
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Question: 5

भरोसा एक जोखिम भरा शब्द क्यों हो चुका है ? काव्यांश के आधार पर लिखिए।

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कविता का भाव समझने के लिए केवल शब्दों पर नहीं, बल्कि उनके पीछे छिपी पीड़ा, परिवर्तन और प्रतीक्षा को पढ़ना आवश्यक होता है।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

कवयित्री के अनुभवों से यह स्पष्ट होता है कि भरोसा अब एक सरल, सहज और सुरक्षित भावना नहीं रही। पहले जिन लोगों और चीज़ों पर उसे भरोसा था — समय के साथ उनका व्यवहार बदल गया। उसने जिनके लिए इंतज़ार किया, जिन पर विश्वास किया, वे शायद लौटे नहीं या बदल गए। इसीलिए वह कहती हैं — “अब मैं इन सब पर हँसना सीख गई हूँ।”
भरोसा करना तब तक सहज लगता है जब तक सामने वाला व्यक्ति या स्थिति उस भरोसे का मान रखे, लेकिन जब यह टूटता है तो केवल भरोसा नहीं टूटता — भावनाएँ, अपेक्षाएँ और स्मृतियाँ भी आहत होती हैं।
कवयित्री का यह कथन कि वह अब रुकती ट्रेनों पर नहीं ठहरती, यह दर्शाता है कि अब वह उस भरोसे को एक व्यावहारिक जोखिम मानती हैं, क्योंकि अपेक्षाओं की चोट गहरी होती है। इसलिए भरोसा अब भावनात्मक रूप से ‘जोखिम भरा’ अनुभव बन चुका है।
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Question: 6

समय और भरोसे के साथ क्या-क्या बदल सकता है ? दो बिंदुओं में उपयुक्त उदाहरण सम्मिलित करते हुए उत्तर दीजिए।

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भरोसा और समय दोनों परिवर्तनशील हैं — जो व्यक्ति इनके साथ स्वयं को नहीं ढालता, वह भीतर से टूट सकता है।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

समय और भरोसा — दोनों ही जीवन के ऐसे तत्व हैं जिनके बदलने पर हमारे दृष्टिकोण, रिश्ते और संवेदनाएँ भी बदल जाती हैं। कविता में कवयित्री के अनुभव हमें यही सिखाते हैं कि विश्वास और प्रतीक्षा का संबंध समय से है, और जब समय के साथ ये टूटते हैं, तो जीवन की पूरी दिशा ही बदल जाती है।
(1) संबंधों की प्रकृति बदल सकती है:
जिस पर हम भरोसा करते हैं, वही समय के साथ अपरिचित या उपेक्षित बन सकता है। कवयित्री जिन ट्रेनों के लिए पहले घंटों प्रतीक्षा करती थीं, वही ट्रेनें अब उनके लिए प्रतीक्षा योग्य नहीं रहीं — यह संबंधों में परिवर्तन और आत्मिक दूरी का प्रतीक है।
(2) स्वयं की दृष्टि और प्राथमिकताएँ बदल सकती हैं:
जब समय बदलता है, तो हमारी सोच भी परिपक्व होती है। कवयित्री कहती हैं कि वे अब ‘रुकती ट्रेनों पर नहीं ठहरतीं’, यानी अब वे केवल भावनाओं पर नहीं, बल्कि तर्क और आत्मरक्षा पर अधिक भरोसा करती हैं।
जीवन की अस्थिरता और अनुभवों ने उन्हें भावनात्मक रूप से अधिक मजबूत बना दिया है।
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