चरण 1: आस्तिक–नास्तिक का मानदण्ड।
भारतीय परम्परा में "आस्तिक" वह दर्शन है जो वेद-प्रामाण्य को स्वीकार करे; जो वेदों को प्रमाण न माने, वह नास्तिक कहलाता है। यह वर्गीकरण ईश्वर-स्वीकार पर नहीं, वेद-स्वीकृति पर आधारित है।
चरण 2: दर्शनों का वर्गीकरण।
आस्तिक (षड्दर्शन): न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, पूर्वमीमांसा, वेदान्त—ये वेद-प्रामाण्य मानते हैं।
नास्तिक: बौद्ध, जैन, चार्वाक—ये वेद-प्रामाण्य नहीं मानते, अपनी स्वतन्त्र आगम/तर्क पर चलने वाली परम्पराएँ हैं।
चरण 3: विकल्प जाँच।
न्याय वेद-प्रामाण्य स्वीकार करने के कारण आस्तिक है; जबकि बौद्ध और जैन परम्पराएँ नास्तिक वर्ग में आती हैं। इसलिए सही विकल्प (3) न्याय दर्शन।