Question:

'मुक्तिदूत' खण्डकाव्य के तृतीय सर्ग का कथानक अपने शब्दों में लिखिए । 
 

Show Hint

किसी सर्ग का सारांश लिखते समय, सर्ग की मुख्य घटना और उसके परिणाम को अवश्य लिखें। सारांश को अपनी भाषा में, संक्षिप्त और क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत करें।
Updated On: Nov 11, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

'मुक्तिदूत' खण्डकाव्य के तृतीय सर्ग का सारांश 'मुक्तिदूत' खण्डकाव्य का तृतीय सर्ग 'अछूतोद्धार' की घटना पर आधारित है। गांधीजी का मानना था कि जब तक भारत में छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीति विद्यमान है, तब तक सच्ची स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हो सकती। उन्होंने हरिजनों (दलितों) के उद्धार का बीड़ा उठाया। उस समय हरिजनों को मन्दिरों में प्रवेश करने, सार्वजनिक कुओं से पानी भरने और सवर्णों के साथ बैठने की मनाही थी। गांधीजी ने इस अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई। वे स्वयं हरिजनों की बस्तियों में गए, उनके साथ रहे और उनके कष्टों को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने पुणे के एक मन्दिर में हरिजनों के प्रवेश को लेकर आमरण अनशन किया। उनके इस त्याग और दृढ़ संकल्प को देखकर सवर्णों का हृदय परिवर्तित हुआ और उन्होंने हरिजनों के लिए मन्दिर के द्वार खोल दिए। गांधीजी के इस प्रयास से समाज में समानता का संदेश फैला और दलितों के मन में एक नया आत्मविश्वास जागा। यह सर्ग गांधीजी की सामाजिक समरसता और मानवतावादी दृष्टि को दर्शाता है।
Was this answer helpful?
0
0