Question:

'मुक्तिदूत' खण्डकाव्य के 'पंचम सर्ग' की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए । 
 

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किसी सर्ग का कथानक लिखते समय, प्रमुख घटनाओं को क्रमबद्ध रूप से लिखें। स्वतंत्रता, विभाजन का दुःख, नोआखली यात्रा और अंत में बलिदान - इन मुख्य बिंदुओं को अपने उत्तर में अवश्य शामिल करें।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

'मुक्तिदूत' खण्डकाव्य के पंचम सर्ग में कवि ने भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति और उसके बाद की घटनाओं का वर्णन किया है। इसकी कथावस्तु इस प्रकार है:
गाँधीजी के अथक प्रयासों और सत्याग्रह आंदोलनों के फलस्वरूप अंततः अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा। 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।
चारों ओर स्वतंत्रता का उत्सव मनाया जा रहा था, किन्तु गाँधीजी इस उत्सव में सम्मिलित नहीं हुए। वे देश-विभाजन के कारण हुए साम्प्रदायिक दंगों से अत्यंत दुखी थे।
वे बंगाल के नोआखली क्षेत्र में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच शांति और सद्भाव स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे।
30 जनवरी, 1948 को जब वे दिल्ली में एक प्रार्थना सभा में जा रहे थे, तब नाथूराम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
गाँधीजी 'हे राम' कहकर पृथ्वी पर गिर पड़े और उनका नश्वर शरीर शांत हो गया। कवि कहता है कि यद्यपि गाँधीजी का भौतिक शरीर नष्ट हो गया, किन्तु उनके सत्य, अहिंसा और प्रेम के विचार आज भी अमर हैं और सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
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