'मुक्तिदूत' खण्डकाव्य के नायक महात्मा गाँधी के चरित्र की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
अलौकिक महापुरुष: कवि ने गाँधीजी को एक साधारण मनुष्य न मानकर ईश्वर का दूत या अवतार माना है, जो भारत को मुक्ति दिलाने के लिए अवतरित हुए थे।
सत्य और अहिंसा के पुजारी: सत्य और अहिंसा उनके दो प्रमुख शस्त्र थे। उन्होंने बिना किसी हथियार के, इन्हीं सिद्धांतों के बल पर शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को पराजित किया।
हरिजनोद्धारक और समाज-सुधारक: गाँधीजी समाज में व्याप्त छुआछूत और ऊँच-नीच के भेदभाव के घोर विरोधी थे। उन्होंने अछूतों को 'हरिजन' (ईश्वर के लोग) नाम दिया और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
दृढ़-संकल्प और साहसी: वे अपने निश्चय के पक्के थे। एक बार जो ठान लेते थे, उसे पूरा करके ही दम लेते थे। दांडी यात्रा और भारत छोड़ो आंदोलन उनके दृढ़ संकल्प के प्रमाण हैं।
मानवता के अग्रदूत: वे केवल भारत के ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के पथ-प्रदर्शक थे। उनके विचार आज भी विश्व को शांति और सद्भाव का मार्ग दिखाते हैं।