डॉ. राजेन्द्र मिश्र द्वारा रचित 'मुक्तिदूत' खण्डकाव्य के नायक महात्मा गाँधी हैं। कवि ने उन्हें युग-पुरुष और अवतार के रूप में चित्रित किया है। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
1. अलौकिक पुरुष: कवि ने गाँधीजी को ईश्वर का अवतार बताया है जो भारत को परतंत्रता से मुक्त कराने के लिए अवतरित हुए। वे एक सामान्य मनुष्य न होकर दिव्य शक्तियों से युक्त महापुरुष हैं।
2. महान देशभक्त: गाँधीजी के मन में देश-प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी। उन्होंने देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
3. हरिजनोद्धारक: गाँधीजी समाज में दलितों और पिछड़ों की दयनीय दशा से अत्यंत दुःखी थे। वे उन्हें 'हरिजन' कहकर सम्मान देते थे और उनके उद्धार के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे।
4. अहिंसा के पुजारी: अहिंसा गाँधीजी का सबसे बड़ा शस्त्र था। वे किसी भी परिस्थिति में हिंसा का समर्थन नहीं करते थे। उन्होंने अपने अहिंसक आन्दोलनों से ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी।
5. हिन्दू-मुस्लिम एकता के समर्थक: गाँधीजी भारत की उन्नति के लिए हिन्दू-मुस्लिम एकता को अनिवार्य मानते थे। वे दोनों सम्प्रदायों को एक ही भारत माता की दो आँखें समझते थे और सदैव उनमें प्रेम स्थापित करने का प्रयास करते रहे।
संक्षेप में, 'मुक्तिदूत' के नायक गाँधीजी एक दिव्य, देशभक्त, मानवतावादी और दृढ़-निश्चयी युग-पुरुष हैं।