Question:

मुहंजोदड़ो की सभ्यता को आडंबर हीन सभ्यता क्यों कहा जाता है ? ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

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सभ्यता की पहचान उसके सामाजिक मूल्यों और जीवनशैली से होती है, न कि बाहरी आडंबर से।
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Solution and Explanation

‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ में लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता को ‘आडंबरहीन सभ्यता’ कहा है क्योंकि वहाँ के लोगों ने अपने जीवन को सादगी, स्वच्छता और उपयोगितावादी दृष्टिकोण के आधार पर जीया। उनकी बस्तियाँ सुव्यवस्थित थीं, सड़कें सीधी और घरों में नालियों की उचित व्यवस्था थी। न कहीं भव्य महल थे, न ही कोई विशिष्ट राजा या पूजा के स्थान की स्पष्ट जानकारी मिलती है।
यह दर्शाता है कि उस सभ्यता में भौतिक प्रदर्शन की बजाय सामूहिक जीवन, श्रम और समता का भाव प्रधान था।
वस्त्र, आभूषण और मूर्तियाँ भी सादगी से युक्त थीं। कोई विशाल मंदिर या शाही वस्त्राभूषण नहीं पाए गए जो आडंबर का संकेत देते हों।
इसलिए मुहंजोदड़ो की सभ्यता को एक ऐसी सभ्यता माना गया है जो भव्यता की बजाय व्यवहारिकता और सामूहिकता पर आधारित थी।
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