Comprehension

मेवाड़-केसरी देखा रहा,
\(\hspace{1cm}\) केवल रण का न तमाशा था। 
वह दौड़-दौड़ करता था रण, 
\(\hspace{1cm}\) वह मान रक्त का प्यासा था।। 
चढ़कर चेतक पर धूम धूम, 
\(\hspace{1cm}\) करता सेना रखवाली था। 
ले महामृत्यु को साथ-साथ, 
\(\hspace{1cm}\) मानो प्रत्यक्ष कपालि था।। 
 

Question: 1

उपयुक्त पद्यांश का संदर्भ लिखिए।

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संदर्भ लिखते समय यह बताना ज़रूरी है कि पद्यांश किस पात्र या घटना का चित्रण करता है।
Updated On: Oct 27, 2025
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Solution and Explanation

यह पद्यांश कवि द्वारा रचित वीर रस से पूर्ण कविता से लिया गया है। इसमें मेवाड़ के शेर कहे जाने वाले वीर महाराणा प्रताप का वर्णन किया गया है। कवि ने उनके युद्ध-प्रेम, साहस और रणभूमि में उनकी अदम्य शक्ति का चित्रण किया है। महाराणा प्रताप के लिए युद्ध केवल कर्तव्य ही नहीं बल्कि उनके जीवन का अभिन्न अंग था।
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Question: 2

मेवाड़-केसरी किसे कहा गया है तथा वह मानसिंह पर रक्त का प्यासा बनकर क्यों टूट पड़ा?

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ऐसे प्रश्नों में पहले "किसे कहा गया" स्पष्ट करें, फिर कारण को विस्तार से लिखें।
Updated On: Oct 27, 2025
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Solution and Explanation

मेवाड़-केसरी से आशय महाराणा प्रताप से है। उन्हें केसरी (सिंह) इसलिए कहा गया क्योंकि वे साहस, शौर्य और पराक्रम के प्रतीक थे।
वे मानसिंह पर रक्त का प्यासा बनकर इसलिए टूट पड़े क्योंकि मानसिंह ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी और उसकी सेना का नेतृत्व कर रहा था। प्रताप को यह विश्वासघात प्रतीत हुआ और उन्हें लगा कि अपने स्वाभिमान और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शत्रु पर टूट पड़ना ही धर्म है। इसलिए वे रणभूमि में उग्र सिंह की भाँति मानसिंह से युद्ध करने लगे।
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Question: 3

रेखांकित अंश में प्रयुक्त अलंकार का नाम लिखिए।

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उपमा अलंकार पहचानने का मुख्य आधार है – 'जैसे', 'मानो', 'तुल्य' आदि शब्दों का प्रयोग।
Updated On: Oct 27, 2025
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Solution and Explanation

रेखांकित अंश – "ले महामृत्यु को साथ-साथ, मानो प्रत्यक्ष कपाली था" में उपमा अलंकार है।
यहाँ महाराणा प्रताप की तुलना उस भयानक दृश्य से की गई है जिसमें मृत्यु स्वयं उनके साथ चल रही हो। इस तुलना से उनके पराक्रम और रणभूमि में उनकी भयावहता का सजीव चित्र सामने आता है।
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