'मेवाड़ मुकुट' खण्डकाव्य के नायक महाराणा प्रताप हैं। उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
अद्वितीय देशभक्त: प्रताप अपनी मातृभूमि मेवाड़ से असीम प्रेम करते थे। उन्होंने मेवाड़ की स्वतंत्रता के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
स्वाभिमानी: वे एक महान स्वाभिमानी पुरुष थे। उन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार करने की अपेक्षा जंगलों में भटकना, घास की रोटियाँ खाना स्वीकार किया, परन्तु अपना मस्तक नहीं झुकाया।
वीर और साहसी: वे एक अतुलनीय वीर और साहसी योद्धा थे। सीमित साधनों के बावजूद उन्होंने हल्दीघाटी के युद्ध में विशाल मुगल सेना का डटकर मुकाबला किया।
दृढ़-प्रतिज्ञ: वे अपनी प्रतिज्ञा के धनी थे। उन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक चित्तौड़ को मुक्त नहीं करा लेंगे, तब तक वे राजसी सुखों का भोग नहीं करेंगे। उन्होंने आजीवन अपनी इस कठोर प्रतिज्ञा का पालन किया।
त्याग और कष्ट-सहिष्णुता की प्रतिमूर्ति: उनका जीवन त्याग और कष्टों को सहने का अनुपम उदाहरण है। उन्होंने देश के लिए राजमहलों के सुखों को त्यागकर अपने परिवार के साथ वनों में घोर कष्ट सहे।