श्री गंगा रत्न पाण्डेय द्वारा रचित 'मेवाड़ मुकुट' खण्डकाव्य के नायक महाराणा प्रताप हैं। वे भारतीय इतिहास के शौर्य, त्याग और बलिदान के प्रतीक हैं। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
अद्वितीय देशभक्त: महाराणा प्रताप एक महान देशभक्त थे। उन्होंने अपनी मातृभूमि मेवाड़ की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
अतुलनीय वीर एवं साहसी: वे एक वीर और साहसी योद्धा थे। सीमित साधनों के बावजूद उन्होंने विशाल मुगल सेना का डटकर मुकाबला किया और हल्दीघाटी के युद्ध में अपनी वीरता का परिचय दिया।
स्वाभिमानी: प्रताप का स्वाभिमान अद्वितीय था। उन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार करने की अपेक्षा जंगलों में भटकना, घास की रोटियाँ खाना स्वीकार किया, परन्तु अपना सिर नहीं झुकाया।
दृढ़-प्रतिज्ञ: वे अपनी प्रतिज्ञा के धनी थे। उन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक वे चित्तौड़ को मुक्त नहीं करा लेंगे, तब तक वे पलंग पर नहीं सोएंगे और सोने-चाँदी के बर्तनों में भोजन नहीं करेंगे। उन्होंने आजीवन इस प्रतिज्ञा का पालन किया।
त्याग एवं कष्ट-सहिष्णुता की प्रतिमूर्ति: उनका जीवन त्याग और कष्ट-सहिष्णुता का अनुपम उदाहरण है। राजमहलों के सुखों को त्यागकर उन्होंने अपने परिवार के साथ वनों में अनेक कष्ट सहे।