'मातृ-भूमि के लिए' खण्डकाव्य का द्वितीय सर्ग 'संकल्प' है। इस सर्ग में नायक चन्द्रशेखर आजाद के विद्यार्थी जीवन और उनके मन में स्वतंत्रता की भावना के उदय का वर्णन है।
Step 1: Azad's Student Life:
चन्द्रशेखर वाराणसी के एक संस्कृत पाठशाला में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। वे एक मेधावी और स्वाभिमानी छात्र थे। उसी समय देश में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में असहयोग आन्दोलन चल रहा था। देश भर में हड़तालें और जुलूस हो रहे थे।
Step 2: The Call of the Nation:
इस आन्दोलन की लहर ने किशोर चन्द्रशेखर के हृदय को भी झकझोर दिया। उनके मन में भी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने की प्रबल इच्छा जाग्रत हुई। वे अपनी पढ़ाई छोड़कर असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े।
Step 3: The 'Sankalp' (Resolve):
आन्दोलन में भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जब मजिस्ट्रेट ने उनसे उनका नाम, पिता का नाम और घर का पता पूछा, तो उन्होंने निर्भय होकर उत्तर दिया:
- नाम: आजाद
- पिता का नाम: स्वाधीन
- घर: जेलखाना
इस उत्तर से क्रोधित होकर मजिस्ट्रेट ने उन्हें पंद्रह बेंतों की सजा सुनाई। हर बेंत की मार पर वे 'भारत माता की जय' का नारा लगाते रहे। इसी घटना के बाद से वे 'आजाद' के नाम से प्रसिद्ध हुए और उन्होंने संकल्प लिया कि वे जीवन भर आजाद रहेंगे और मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दे देंगे।