'मातृ-भूमि के लिए' खण्डकाव्य के नायक अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद हैं। उनका चरित्र वीरता, देशभक्ति, त्याग और अदम्य साहस का प्रतीक है। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
महान देशभक्त और स्वतंत्रता-प्रेमी: आजाद के जीवन का एकमात्र लक्ष्य मातृभूमि की स्वतंत्रता थी। वे बचपन से ही देश को आजाद कराने का स्वप्न देखते थे और इसी के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
वीर और साहसी: आजाद अद्भुत वीर और साहसी थे। वे अंग्रेजों के शासन को एक खुली चुनौती देते थे। काकोरी कांड हो या सॉण्डर्स की हत्या, उन्होंने हर कार्य में अपनी वीरता का परिचय दिया। वे जीते-जी अंग्रेजों के हाथ न आने की अपनी प्रतिज्ञा पर अडिग रहे।
कुशल संगठनकर्ता और नेता: वे एक कुशल संगठनकर्ता थे। उन्होंने बिखरे हुए क्रांतिकारियों को एकत्र कर 'हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी' का गठन किया। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे क्रांतिकारी उनका बहुत सम्मान करते थे।
दृढ़-प्रतिज्ञ और स्वाभिमानी: उन्होंने संकल्प लिया था कि वे कभी भी अंग्रेजों द्वारा जीवित नहीं पकड़े जाएंगे। इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में जब वे अंग्रेजों से घिर गए, तो उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा को निभाने के लिए अपनी ही पिस्तौल से स्वयं को गोली मार ली, परन्तु अंग्रेजों के हाथ नहीं आए।
त्याग की प्रतिमूर्ति: उन्होंने देश के लिए अपने परिवार, सुख और जीवन का त्याग कर दिया। उनका बलिदान भारतीय युवाओं के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा।