Question:

'कर्ण' खण्डकाव्य के आधार पर कुन्ती का चरित्र-चित्रण कीजिए । 
 

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कुन्ती का चरित्र-चित्रण करते समय उनके चरित्र के द्वंद्व को उजागर करें। एक ओर वे ममतामयी माँ हैं, तो दूसरी ओर पुत्र-मोह में स्वार्थी भी प्रतीत होती हैं।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

'कर्ण' खण्डकाव्य में कुन्ती एक विवश और ममतामयी माँ के रूप में चित्रित हैं। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
ममतामयी माँ: कुन्ती के हृदय में अपने सभी पुत्रों (पांडवों और कर्ण) के लिए अपार ममता है। वे আসন্ন महाभारत के युद्ध में अपने पुत्रों के विनाश की आशंका से भयभीत हैं।
विवश और चिन्तित: वे अपने अतीत में की गई भूल (कर्ण का त्याग) के कारण पश्चाताप और ग्लानि से भरी हुई हैं। वे चिन्तित हैं कि उनके ही पुत्र एक-दूसरे के रक्त के प्यासे हो रहे हैं।
स्वार्थी: पुत्र-मोह में वे स्वार्थी भी हो जाती हैं। वे कर्ण के पास जाकर उससे पांडवों के प्राणों की भीख माँगती हैं, परन्तु उसके अधिकारों और उसके साथ हुए अन्याय की उन्हें चिन्ता नहीं है।
निर्भीक एवं स्पष्टवादिनी: वे कर्ण के समक्ष जाकर निर्भीकता से उसके जन्म का रहस्य बताती हैं और उसे अपने पक्ष में आने का आग्रह करती हैं।
समाज से भयभीत: उन्होंने लोक-लाज के भय से अपने नवजात पुत्र कर्ण का त्याग कर दिया था, जो उनके चरित्र के एक कमजोर पक्ष को दर्शाता है।
इस प्रकार, कुन्ती का चरित्र एक ममतामयी माँ, एक चिन्तित रानी और एक विवश नारी का मिला-जुला रूप है।
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