Question:

'कर्मवीर भरत' खण्डकाव्य के 'आगमन' सर्ग की कथावस्तु लिखिए । 
 

Show Hint

'आगमन' सर्ग की कथावस्तु लिखते समय भरत के मन के विभिन्न भावों - आशंका, दुःख, क्रोध, ग्लानि - को क्रम से दिखाना महत्वपूर्ण है। इससे उत्तर सजीव हो उठता है।
Updated On: Nov 11, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

'कर्मवीर भरत' खण्डकाव्य के 'आगमन' सर्ग की कथावस्तु 'आगमन' सर्ग में भरत और शत्रुघ्न के ननिहाल (केकय देश) से अयोध्या वापस आने की कथा है। जब भरत अयोध्या के निकट पहुँचते हैं, तो उन्हें नगर की उदासी और सूनापन देखकर किसी अनहोनी की आशंका होती है। नगरवासी उन्हें देखकर मुँह फेर लेते हैं, जिससे उनकी चिन्ता और बढ़ जाती है। राजमहल में प्रवेश करने पर वे अपनी माता कैकेयी से मिलते हैं। कैकेयी उन्हें बताती हैं कि उन्होंने राजा दशरथ से दो वरदानों में उनके लिए राज्य और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा है। यह सुनकर भरत पर मानो बिजली गिर जाती है। जब उन्हें पता चलता है कि इसी दुःख में पिता दशरथ ने प्राण त्याग दिए हैं, तो वे शोक से व्याकुल हो उठते हैं। भरत अपनी माता कैकेयी को इस घोर अनर्थ के लिए बहुत धिक्कारते हैं और कहते हैं कि इस कुल-कलंक को वे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। वे स्वयं को इस षड्यंत्र से पूरी तरह अलग बताते हैं। इसके बाद वे रोते हुए माता कौशल्या के पास जाते हैं। कौशल्या भी पहले उन पर संदेह करती हैं, परन्तु भरत की निष्ठा और दुःख देखकर उन्हें अपने पुत्र के समान गले लगा लेती हैं। यह सर्ग भरत के निर्दोष चरित्र और महान भ्रातृ-प्रेम को उजागर करता है।
Was this answer helpful?
0
0