'कर्मवीर भरत' खण्डकाव्य में श्रीराम का चरित्र एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में चित्रित किया गया है। उनकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
आदर्श पुत्र और पितृभक्त: श्रीराम एक आदर्श पुत्र हैं। वे अपने पिता के वचनों की रक्षा के लिए बिना किसी प्रश्न के चौदह वर्षों का वनवास सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं। उनके लिए पिता की आज्ञा सर्वोपरि है।
आदर्श भ्राता: उनके हृदय में अपने भाइयों के प्रति असीम स्नेह है। वे भरत को अयोध्या का राज्य सौंपे जाने से प्रसन्न होते हैं और चित्रकूट में भरत से मिलकर भाव-विभोर हो जाते हैं। वे भरत को निर्दोष मानते हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम: श्रीराम मर्यादा के पालक हैं। वे राज-धर्म, पुत्र-धर्म और भ्रातृ-धर्म सभी का आदर्श रूप में पालन करते हैं। वे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और मर्यादा का त्याग नहीं करते।
त्याग और विनम्रता की प्रतिमूर्ति: उनमें त्याग की भावना कूट-कूट कर भरी है। वे राजसिंहासन को तिनके के समान त्याग देते हैं। वे स्वभाव से अत्यंत विनम्र और शांत हैं।
दृढ़-निश्चयी: वे अपने निश्चय के पक्के हैं। एक बार पिता को दिया वचन निभाने का निश्चय करने के बाद वे भरत और अयोध्यावासियों के बहुत अनुरोध पर भी अपना निर्णय नहीं बदलते।