Question:

कोई बात पेचदार कैसे हो जाती है? ‘बात सीधी थी’ कविता के आधार पर लिखिए। 
 

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‘पेचदार’ जैसी शब्दावली में उत्तर को केवल तर्क से नहीं, अनुभूति से भी जोड़ना चाहिए — यही कविता की शक्ति है।
Updated On: Jul 31, 2025
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Solution and Explanation

‘बात सीधी थी’ कविता में कवि इस बात को स्पष्ट करता है कि कभी-कभी जीवन की सरल-सी स्थिति भी सामाजिक, मानसिक या भावनात्मक उलझनों में पड़कर जटिल हो जाती है। एक सीधी बात तब पेचदार हो जाती है जब उसमें अकारण व्याख्या, संदेह, या आरोपों का जाल जोड़ दिया जाता है।
कभी सुनने वाला अपने पूर्वाग्रह, मनोभाव या संदर्भों से बात को जटिल बना देता है, तो कभी वक्ता के असहज होने के कारण बात ठीक से पहुँच नहीं पाती। इसी भाव को कविता में ‘बात सीधी थी, लेकिन उसमें गांठ पड़ गई’ के प्रतीक से व्यक्त किया गया है।
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