Question:

'कर्ण' खण्डकाव्य के तृतीय सर्ग का कथानक संक्षेप में लिखिए।

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तृतीय सर्ग में कर्ण की 'दानवीरता' का सर्वोच्च रूप देखने को मिलता है।
Updated On: Oct 28, 2025
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Solution and Explanation

तृतीय सर्ग का कथानक:
'कर्ण खण्डकाव्य' के तृतीय सर्ग में कर्ण के दानवीरता और निष्ठा का प्रभावशाली चित्रण है। इस सर्ग में कर्ण की उस घटना का वर्णन है जब इन्द्र ब्राह्मण का वेश धारण कर उनसे उनके दिव्य कवच और कुंडल माँगने आते हैं। कर्ण को ज्ञात होता है कि यह वस्तुएँ उनके जीवन की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, फिर भी वे याचना करने वाले को मना नहीं करते।
कर्ण अपनी प्राणरक्षा से भी अधिक दानधर्म को महत्व देते हुए अपना कवच और कुंडल उतारकर इन्द्र को दान में दे देते हैं। इन्द्र उनकी इस उदारता और दानशीलता से प्रसन्न होकर उन्हें शक्तियुक्त अस्त्र प्रदान करते हैं। यह सर्ग कर्ण की असाधारण दानशीलता, त्याग और आत्मबलिदान को प्रकट करता है।
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