Question:

'कर्मवीर भरत' खंडकाव्य की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।

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कथावस्तु लिखते समय मुख्य प्रसंग, संघर्ष और उनका आदर्श संदेश अवश्य लिखें।
Updated On: Oct 28, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: परिचय.
'कर्मवीर भरत' खंडकाव्य का केन्द्रबिंदु भरत का त्याग और कर्तव्यनिष्ठा है। कवि ने भरत को केवल राम का भाई ही नहीं, बल्कि धर्म और कर्तव्य का सच्चा अनुयायी दिखाया है।

Step 2: कथावस्तु का वर्णन.
राम के वनवास जाने के बाद अयोध्या में संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। कैकेयी के वरदानों के कारण भरत को राज्य सौंपा जाता है, लेकिन भरत इसे स्वीकार नहीं करते। वे चित्रकूट जाकर राम से राज्य ग्रहण करने का आग्रह करते हैं। भरत का हृदय भाई के प्रति प्रेम और मातृभूमि के प्रति कर्तव्य से ओतप्रोत है।
राम के आग्रह पर भरत अयोध्या लौटते हैं, परंतु वे स्वयं राजसिंहासन पर नहीं बैठते। वे राम की खड़ाऊँ सिंहासन पर स्थापित करते हैं और स्वयं राम के प्रतिनिधि के रूप में राज्य संचालन करते हैं। उनका जीवन तपस्वी के समान हो जाता है और वे वनवास की अवधि में राजधर्म का पालन करते हुए राम की प्रतीक्षा करते हैं।

Step 3: निष्कर्ष.
इस प्रकार, 'कर्मवीर भरत' खंडकाव्य की कथावस्तु त्याग, धर्मनिष्ठा और आदर्श भाईचारे की प्रेरणादायक गाथा है। इसमें भरत का व्यक्तित्व कर्तव्य और धर्म का सर्वोच्च आदर्श बनकर सामने आता है।

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