'ज्योति जवाहर' खण्डकाव्य में कवि देवीप्रसाद शुक्ल 'राही' ने पं. नेहरू के व्यक्तित्व के निर्माण में भारत के विभिन्न महापुरुषों के गुणों का योगदान बताया है। इसी क्रम में उन्होंने सम्राट अशोक के निम्नलिखित गुणों का वर्णन किया है, जो नेहरू जी के चरित्र में भी परिलक्षित होते हैं:
मानव-प्रेम: कलिंग युद्ध की विभीषिका देखने के बाद सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तित हो गया और उन्होंने युद्ध का त्याग कर मानव-प्रेम और अहिंसा का मार्ग अपना लिया। नेहरू जी भी विश्व-शांति और मानव-प्रेम के प्रबल समर्थक थे।
विश्व-शांति का संदेश: अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाकर विश्व में शांति, करुणा और मैत्री का संदेश फैलाया। नेहरू जी ने भी 'पंचशील' और 'गुटनिरपेक्षता' के सिद्धांतों के माध्यम से विश्व-शांति की स्थापना का प्रयास किया।
लोक-कल्याण की भावना: अशोक ने अपनी प्रजा के कल्याण के लिए सड़कें बनवाईं, कुएँ खुदवाए और सराय स्थापित किए। नेहरू जी ने भी पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से भारत के जन-कल्याण और नवनिर्माण का कार्य किया।
इस प्रकार कवि ने अशोक के मानव-प्रेम, विश्व-शांति और लोक-कल्याण जैसे गुणों को नेहरू के व्यक्तित्व का अंग बताया है।