श्री देवीप्रसाद शुक्ल 'राही' द्वारा रचित खण्डकाव्य 'ज्योति जवाहर' की कथावस्तु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के विराट व्यक्तित्व पर आधारित है। इसमें किसी विशेष कथा का वर्णन न होकर नेहरूजी के जीवन, उनके विचारों और उनके कार्यों को प्रेरणास्पद रूप में प्रस्तुत किया गया है।
कवि ने नेहरूजी को एक लोकनायक के रूप में चित्रित किया है, जिनके व्यक्तित्व में अद्भुत आकर्षण है। वे शक्ति और सौंदर्य के प्रतीक हैं। खण्डकाव्य के आरंभ में कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह उसे इस महानायक का चरित्र लिखने की शक्ति प्रदान करे।
कथावस्तु के अनुसार, नेहरूजी का संघर्ष केवल भारत की स्वतन्त्रता तक ही सीमित नहीं था, बल्कि वे विश्व-शांति के अग्रदूत भी थे। उन्होंने भारत के नवनिर्माण का स्वप्न देखा और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से उसे साकार करने का प्रयास किया।
कवि ने उन्हें 'ज्योति जवाहर' इसलिए कहा है क्योंकि वे पराधीन भारत के अंधकार में आशा की ज्योति बनकर आए और अपने प्रकाश से पूरे राष्ट्र को आलोकित किया। उन्होंने सत्य, अहिंसा, शांति, प्रेम और मानवता जैसे मूल्यों को अपने जीवन में उतारा।
इस प्रकार, 'ज्योति जवाहर' की कथावस्तु किसी एक घटना पर आधारित न होकर नायक नेहरू के सम्पूर्ण जीवन-दर्शन, उनके कृतित्व और व्यक्तित्व का एक भावात्मक काव्य है।