'ज्योति जवाहर' खण्डकाव्य के नायक पं. जवाहरलाल नेहरू हैं। कवि ने उन्हें एक युग-पुरुष के रूप में चित्रित किया है। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
दिव्य गुणों से युक्त नायक: कवि ने नेहरूजी को सामान्य मानव न मानकर सूर्य के तेज, चन्द्रमा की शीतलता और हिमालय की दृढ़ता से युक्त एक अलौकिक पुरुष के रूप में चित्रित किया है।
समग्र राष्ट्र के प्रतिबिम्ब: नेहरूजी के व्यक्तित्व में सम्पूर्ण भारत की झलक मिलती है। कवि के अनुसार, वे जहाँ भी जाते हैं, वहाँ की संस्कृति, वीरता और विशेषताएँ उनके व्यक्तित्व में समाहित हो जाती हैं।
महान लोकनायक: वे भारत की जनता के हृदय-सम्राट थे। सम्पूर्ण देश की जनता उन्हें असीम प्रेम और सम्मान देती थी। वे सबके प्रिय 'चाचा नेहरू' थे।
शांति के अग्रदूत: नेहरूजी विश्व में शांति स्थापित करने के प्रबल पक्षधर थे। उन्होंने 'पंचशील' जैसे सिद्धान्तों के माध्यम से विश्व-शांति का संदेश दिया।
प्रकृति-प्रेमी: उन्हें भारत की प्रकृति, विशेषकर गंगा नदी और हिमालय से अगाध प्रेम था। वे प्रकृति में विराट सत्ता का दर्शन करते थे।
दृढ़ संकल्प और कर्मयोगी: वे अपने निश्चय के पक्के और एक कर्मठ पुरुष थे। उन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण के लिए अथक परिश्रम किया।
संक्षेप में, 'ज्योति जवाहर' के नायक नेहरूजी एक महान, दूरदर्शी, शांतिप्रिय और भारत की आत्मा को समझने वाले युग-पुरुष हैं।