'ज्योति जवाहर' खण्डकाव्य के नायक पं. जवाहरलाल नेहरू हैं। कवि ने उनके विराट और बहुआयामी व्यक्तित्व का चित्रण किया है। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
दिव्य और अलौकिक पुरुष: कवि ने नेहरू जी को एक साधारण मानव न मानकर एक दिव्य पुरुष के रूप में चित्रित किया है, जिसके निर्माण में सम्पूर्ण भारत का योगदान है। वे हिमालय से ऊँचे और गंगा से पवित्र हैं।
महान राष्ट्र-प्रेमी: नेहरू जी एक महान देशभक्त थे। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए राजसी सुखों का त्याग कर दिया और अपने जीवन के कई बहुमूल्य वर्ष जेलों में बिताए।
समन्वयवादी व्यक्तित्व: उनके व्यक्तित्व में प्राचीन भारतीय संस्कृति और आधुनिक पाश्चात्य विचारों का अद्भुत समन्वय था। वे गाँधीजी के सत्य-अहिंसा के अनुयायी होने के साथ-साथ वैज्ञानिक प्रगति के भी प्रबल समर्थक थे।
विश्व-शांति के अग्रदूत: वे केवल भारत के नेता नहीं, बल्कि विश्व-नेता थे। उन्होंने 'पंचशील' और 'गुटनिरपेक्षता' के सिद्धांतों द्वारा विश्व को शांति और सह-अस्तित्व का मार्ग दिखाया।
भारत के भाग्य-विधाता: कवि उन्हें स्वतंत्र भारत का निर्माता और भाग्य-विधाता मानता है। वे भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ने वाली कड़ी हैं और भारत की आशाओं के 'ज्योति पुंज' हैं।