'जय सुभाष' खण्डकाव्य के द्वितीय सर्ग में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के भारत से गुप्त रूप से निकल भागने की साहसिक और रोमांचकारी घटना का वर्णन है।
Step 1: The House Arrest:
अंग्रेजी सरकार ने सुभाषचन्द्र बोस को उनके कलकत्ता स्थित घर में ही नजरबन्द कर दिया था। घर के चारों ओर कड़ा पहरा था ताकि वे किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग न ले सकें। परन्तु सुभाष बाबू देश को आजाद कराने के लिए कृतसंकल्प थे।
Step 2: The Escape Plan:
उन्होंने नजरबन्दी से भागने की एक साहसिक योजना बनाई। उन्होंने अपनी दाढ़ी बढ़ा ली और एक पठान मौलवी का वेश धारण कर लिया। रात के अँधेरे में, जब सारा संसार सो रहा था, वे अंग्रेजों की आँखों में धूल झोंककर अपने घर से निकल पड़े।
Step 3: The Journey:
घर से निकलकर वे एक कार द्वारा गोमो स्टेशन पहुँचे। वहाँ से पेशावर जाने वाली ट्रेन पकड़कर वे भारत की सीमा से बाहर निकल गए। यह यात्रा अत्यंत जोखिम भरी थी, परन्तु देश-सेवा का दृढ़ संकल्प उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा था। यह सर्ग सुभाषचन्द्र बोस के अदम्य साहस, उनकी बुद्धि-कुशलता और मातृभूमि के प्रति उनके गहरे प्रेम को दर्शाता है। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है।