'जय सुभाष' खण्डकाव्य के नायक नेताजी सुभाषचन्द्र बोस हैं। कवि विनोदचन्द्र पाण्डेय 'विनोद' ने उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी, वीर और युग-प्रवर्तक के रूप में चित्रित किया है। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
महान देशभक्त और स्वतंत्रता-प्रेमी: सुभाषचन्द्र बोस के जीवन का एकमात्र उद्देश्य भारत को अंग्रेजी दासता से मुक्त कराना था। वे एक महान देशभक्त थे और मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार थे। उन्होंने कहा था, "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।"
वीर, साहसी और दृढ़-निश्चयी: नेताजी अद्भुत वीर और साहसी थे। वे अंग्रेजों की आँखों में धूल झोंककर उनके पहरे से निकल भागे। उन्होंने कठिन यात्राएँ करके जर्मनी और जापान पहुँचकर 'आजाद हिन्द फौज' का गठन किया।
कुशल संगठनकर्ता और महान नेता: उनमें नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने विदेश में बिखरे हुए भारतीयों को संगठित करके एक शक्तिशाली सेना का निर्माण किया। उनके एक आह्वान पर सैनिक अपने प्राणों की बाजी लगाने को तैयार रहते थे।
त्यागी और तपस्वी: उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए आई.सी.एस. जैसी प्रतिष्ठित नौकरी और समस्त पारिवारिक सुखों को त्याग दिया। उनका जीवन एक तपस्वी के समान था, जिसकी एकमात्र साधना भारत की मुक्ति थी।
युग-प्रवर्तक: वे एक महान क्रांतिकारी और युग-प्रवर्तक थे। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए सशस्त्र क्रांति का मार्ग अपनाया और देश के युवाओं में एक नई चेतना का संचार किया।