Comprehension

निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जीवन का अभियान दान-बल से अजस्र चलता है,
उतनी बड़ी ज्योति, स्नेह जितना अनल्प जलता है।
और दान में रोक या हँसकर हम जो देते हैं,
अहंकारवश उसे स्वत्व का त्याग मान लेते हैं।
यह न स्वत्व का त्याग, दान तो जीवन का झरना है,
रखना उसको रोक, मृत्यु से पहले ही मरना है,
किस पर करते कृपा वृक्ष यदि अपना फल देते हैं?
गिरते से उसको सँभाल, क्यों रोक नहीं लेते हैं?
ऋतु के बाद फलों का रुकना डालों का सड़ना है,
मोह दिखाना देव वस्तु पर आत्मघात करना है।
देते तक इसलिए कि रेशों में मत कीट समाएँ
रहें डालियाँ स्वच्छ कि उनमें नये-नये फल आएँ
जो नर आत्मदान से अपना जीवन घट भरते हैं
वही मृत्यु के मुख में भी पड़कर न कभी मरते हैं
जहाँ रहती है ज्योति उस जगत में, जहाँ कहीं उजियाला
बसे वहीं है वही आत्मा जो सबमें मोल चुकाने वाला।

Question: 1

दान को जीवन का झरना क्यों कहा गया है?

Show Hint

जब किसी उपमा (जैसे — ‘‘दान = झरना’’) का कारण पूछा जाए, तो तुलना के आधारों (गति, जीवनदायित्व, निरंतरता) पर विचार करना चाहिए।
Updated On: Jul 30, 2025
  • दान कभी व्यर्थ नहीं जाता
  • दान देने से कीर्ति बनी रहती है
  • दान को रोकने से मृत्यु से पहले ही मृत्यु हो जाती है
  • दान देने से जीवन की निरंतरता बनी रहती है
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is D

Solution and Explanation

कविता में दान को जीवन की गत्यात्मकता, उसकी प्रवाहशीलता और उसकी निरंतरता का प्रतीक बताया गया है। कवि कहता है कि जीवन का अभियान दान–बल से चलता है, न कि स्वार्थ या संग्रह से। यदि कोई मनुष्य दान को रोक लेता है, तो वह अपने स्वत्व में अहंकार पाल लेता है और यह स्थिति आत्मिक मृत्यु के समान होती है।
जीवन में देने की प्रवृत्ति (दान) ही उस ऊर्जा की तरह है, जो प्रेम, स्नेह और करुणा जैसे गुणों को जीवित रखती है। यही कारण है कि कवि दान को ‘झरना’ कहता है — क्योंकि जैसे झरना सतत बहता है और जीवनदायिनी होता है, वैसे ही दान भी जीवन को गति और संतुलन प्रदान करता है। यदि उसे रोक दिया जाए तो जीवन ठहर जाता है, रूखा बन जाता है।
इसलिए गेय पंक्तियाँ — ‘‘यह न स्वत्व का त्याग, दान तो जीवन का झरना है’’ — यह स्पष्ट करती हैं कि दान जीवन को जीवंत रखने वाला एक आवश्यक गुण है।
Was this answer helpful?
0
0
Question: 2

‘अंतिम मोल चुकाने वाला’ से अभिप्राय है :

Show Hint

‘मोल चुकाने’ जैसे प्रतीकों का सही अर्थ केवल शब्दार्थ से नहीं, पंक्तियों के संदर्भ से निकालना चाहिए — इससे आप हमेशा सही विकल्प चुन पाएँगे।
Updated On: Jul 30, 2025
  • वस्तु की अंतिम कीमत अदा करने वाला
  • स्वत्व का त्याग कर, परोपकार का दीया जलाने वाला
  • स्वत्व की पूर्ति हेतु कोई भी कीमत अदा करने वाला
  • कीमत के आधार पर लोगों की सहायता करने वाला
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is B

Solution and Explanation

कविता की अंतिम पंक्तियाँ ‘‘वहीं खड़ा है कोई अंतिम मोल चुकाने वाला’’ अत्यंत गूढ़ अर्थ को प्रकट करती हैं। इस वाक्य में वह व्यक्ति वर्णित है जो अपने ‘स्व’ — अर्थात् अपने आत्मकेन्द्रित अहं और स्वार्थ को त्याग देता है और समाज, मानवता व जीवन की उच्चतम सेवा में अपने अस्तित्व को समर्पित कर देता है।
कवि के अनुसार ऐसा व्यक्ति न केवल दान करता है, बल्कि जीवन का सर्वोच्च मूल्य चुका कर दूसरों के जीवन को उजाला देता है। वह मोक्ष, आत्मत्याग, और परोपकार के उच्च आदर्श को जीता है। ‘मोल चुकाना’ यहाँ किसी भौतिक वस्तु की कीमत अदा करने की नहीं, बल्कि स्वयं को तपाकर, अहंकार और संग्रह को त्यागकर जनकल्याण में रत रहने का प्रतीक है।
इसलिए विकल्प (B) — ‘‘स्वत्व का त्याग कर, परोपकार का दीया जलाने वाला’’ — सबसे सटीक उत्तर है क्योंकि यह कवि के मूल भाव को सही रूप में अभिव्यक्त करता है।
Was this answer helpful?
0
0
Question: 3

कविता के केंद्रीय भाव को दर्शाने वाला/वाले कथन है/हैं :

Show Hint

जब भी ‘‘केंद्रीय भाव’’ पूछा जाए, तो कविता की मूल प्रेरणा और संदेश पर ध्यान दें — न कि केवल वर्णनात्मक अंशों पर।
Updated On: Jul 30, 2025
  • दान से जीवन को गति मिलना
  • केवल (I)
  • केवल (II)
  • (I) और (II) दोनों
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

The Correct Option is C

Solution and Explanation

कविता में मुख्य रूप से जीवन में त्याग, दान और परोपकार की भावना को सर्वोच्च मूल्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कवि कहता है कि ‘‘जीवन का अभियान दान-बल से अजय चलता है’’ — यह पंक्ति स्पष्ट करती है कि दान न केवल भौतिक है, बल्कि आत्मबल, स्वत्व और मोह का त्याग कर जीवित रहते हुए जीवन को ऊर्जस्वित करने की प्रक्रिया है।
इसी तरह, ‘‘स्वत्व का त्याग कर, परोपकार का दीया जलाने वाला’’ जैसी पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि कविता परोपकार की प्रेरणा देती है — वह हमें दूसरों के लिए जीने और देने की भावना से भरती है।
हालाँकि मृत्यु का उल्लेख कविता में कई स्थानों पर हुआ है, लेकिन उसका वर्णन केवल भौतिक मृत्यु के रूप में नहीं, बल्कि अपने स्व को छोड़ने, त्यागने और जीवन को ऊँचे स्तर पर जीने के रूप में है। इसलिए (III) विकल्प मृत्यु का वर्णन अवश्य करता है, लेकिन वह कविता का मुख्य उद्देश्य नहीं है।
इसलिए केवल कथन (I) और (II) — ‘‘दान से जीवन को गति मिलना’’ और ‘‘परोपकार की प्रेरणा’’ — कविता के केंद्रीय भाव को सही रूप में दर्शाते हैं।
Was this answer helpful?
0
0
Question: 4

कवि ने लोगों के द्वारा दान को क्या मान लेने की बात कही है? 
 

Show Hint

जब भी ‘कवि की भावना’ पर प्रश्न पूछा जाए, तो कविता की उस पंक्ति को केंद्र में रखें जिससे विचार उत्पन्न हुआ है।
Updated On: Jul 31, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

कवि ने यह स्पष्ट किया है कि लोग जब दान करते हैं तो वे अक्सर अहंकारवश इसे त्याग मान लेते हैं। यह मान लेना कि दान देने मात्र से उन्होंने कोई महान कार्य कर दिया है — कवि की दृष्टि में यह एक भ्रम है।
कवि इस भ्रांति का खंडन करते हैं और कहते हैं कि यदि दान करते समय हमारे भीतर दंभ, हठ या प्रदर्शन की भावना है, तो वह दान सच्चे अर्थों में त्याग नहीं कहा जा सकता। त्याग वही है जो निःस्वार्थ हो, जिसमें आत्मप्रशंसा या किसी प्रतिफल की अपेक्षा न हो।
अतः कवि लोगों को यह समझाना चाहते हैं कि सच्चा दान वह है जो आंतरिक भाव से, बिना किसी प्रदर्शन के किया जाए — तभी वह दान जीवन में सार्थकता लाता है।
Was this answer helpful?
0
0
Question: 5

वृक्ष और फलों का उदाहरण यहाँ किस उद्देश्य से दिया गया है? 
 

Show Hint

कविता में जब कोई प्राकृतिक तत्व (वृक्ष, नदी, फूल आदि) आए, तो वह अक्सर प्रतीकात्मक अर्थ में उपयोग होता है — उस प्रतीक को व्याख्या में अवश्य जोड़ें।
Updated On: Jul 31, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

कविता में ‘‘मृत्यु के बाद फलों का झरना डालों का झरना है’’ जैसी पंक्तियों में वृक्ष और फलों का उदाहरण देकर यह दर्शाया गया है कि सच्चा दान वही है जो जीवित रहते हुए किया जाए।
वृक्ष जब फल से लदते हैं, तो उसकी डालियाँ झुक जाती हैं — यह विनम्रता और परोपकार का प्रतीक है। यदि वृक्ष मृत्यु के बाद फल दें, तो उसका कोई महत्व नहीं होता। इसी प्रकार, मनुष्य को भी अपने जीवनकाल में ही दूसरों के लिए कुछ देना चाहिए — तभी उसका दान सार्थक माना जाएगा।
इस उदाहरण का उद्देश्य यह है कि जैसे फल झुककर दूसरों को सुख देते हैं, वैसे ही मनुष्य को भी त्याग और परोपकार से समाज को लाभ देना चाहिए। तभी उसका जीवन धन्य होगा।
Was this answer helpful?
0
0
Question: 6

आत्मदान करने वाले लोग अमर क्यों हो जाते हैं? 
 

Show Hint

‘अमरता’ जैसे भावात्मक शब्दों के उत्तर में केवल शारीरिक मृत्यु की बात न करें — उत्तर को आदर्श, प्रेरणा, नाम और स्मृति से जोड़ें।
Updated On: Jul 31, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

कवि आत्मदान यानी पूर्णतः स्वयं को समाज या दूसरों के कल्याण में समर्पित कर देने की भावना को सर्वोच्च मूल्य मानते हैं। वे कहते हैं कि ऐसे लोग जो निःस्वार्थ भाव से अपने सुख, स्वार्थ और जीवन को दूसरों के लिए समर्पित कर देते हैं, वे मृत्यु के बाद भी जीवित रहते हैं।
उनका नाम, कार्य और प्रेरणा पीढ़ियों तक लोगों को राह दिखाती है। इसीलिए कविता में कहा गया है — ‘‘वहीं मृत्यु के मुख में भी पड़कर न कभी मरते हैं, जहाँ कहीं है ज्योतिर्मयता...’’।
यहाँ कवि यह स्थापित करते हैं कि आत्मदान करने वाले लोग नश्वर शरीर से परे होकर अमरत्व प्राप्त कर लेते हैं — उनकी स्मृति, योगदान और प्रेरणा चिरकालिक हो जाती है।
Was this answer helpful?
0
0

Top Questions on काव्यांश पर आधारित प्रश्न

View More Questions