चरण 1: मूल तथ्य।
भगवद्गीता महाभारत के भीष्मपर्व का एक भाग है और इसमें 700 श्लोक तथा 18 अध्याय हैं। यह संवाद कुरुक्षेत्र में अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच होता है।
चरण 2: विषय-विन्यास का संकेत।
अध्यायों का विन्यास साधारणतः तीन षट्कों में देखा जाता है—(i) कर्म-योग के आधार पर कर्तव्य–निष्काम भाव (१–६), (ii) भक्ति-योग एवं ईश्वर-साक्षात्कार/विश्वरूप (७–१२), (iii) ज्ञान-योग द्वारा प्रकृति–पुरुष–गुणत्रय–स्वधर्म–सन्न्यास आदि (१३–१८)। पहले अध्याय को अर्जुन-विषाद योग और अंतिम अध्याय को मोक्ष–संन्यास योग कहा जाता है।
चरण 3: विकल्प-उन्मूलन।
गीता के अध्याय न तो 12 हैं, न 15, न 25; मान्य संख्या केवल 18 है—अतः सही उत्तर (3)।