Comprehension

दिये गये पद्यांश पर आधारित तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
धूरि भरे अति सोभित श्यामजु, 
तैसी बनी सिर सुंदर चोटी। 
खेलत खात फिरे अँगना, पग पैंजनी 
बाजति पीरी कछोटी।। 
वा छबि को रसखान बिलोक्त, 
वारत काम कला निज कोटी। 
काग के भाग बड़े सजनी, 
हरि हाथ सौं लै गये माखन-रोटी।। 
 

Question: 1

उपयुक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।

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सन्दर्भ लिखते समय लेखक/कवि और प्रसंग का उल्लेख करना आवश्यक है।
Updated On: Oct 27, 2025
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Solution and Explanation

यह पद्यांश सूरदास की रचनाओं से लिया गया है। इसमें श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का अत्यंत मनोहर चित्रण किया गया है। बालकृष्ण की सुंदर चोटी, उनके अंग-अंग की शोभा तथा उनकी चंचल गतिविधियों का वर्णन करते हुए कवि ने उनकी बालसुलभ छवि को हृदयस्पर्शी बना दिया है। यह अंश वात्सल्य रस से परिपूर्ण है।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

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रेखांकित अंश की व्याख्या में दृश्य और उसका भावार्थ दोनों स्पष्ट करने चाहिए।
Updated On: Oct 27, 2025
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रेखांकित अंश – "खेलत खात फिरे अँगना, पग पैजनी बाजति पीरी कछोटी" व्याख्या:
कवि ने इस अंश में बालकृष्ण की बाल सुलभ गतिविधियों का चित्र प्रस्तुत किया है। वे आँगन में खेलते और खाते फिरते हैं। उनके पैरों में बँधी पायल मधुर ध्वनि करती है और उनकी पीली कछोटी (छोटी धोती) लहराती हुई चलती है। यह दृश्य बालकृष्ण की चंचलता और अलौकिक मोहकता को दर्शाता है। कवि ने इस चित्रण के माध्यम से बाललीला की सहजता और रमणीयता को उजागर किया है।
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Question: 3

प्रस्तुत पद्यांश में किसे भाग्यशाली बताया गया है?

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'किसे भाग्यशाली बताया गया' जैसे प्रश्नों में व्यक्ति का नाम और कारण दोनों अवश्य लिखें।
Updated On: Oct 27, 2025
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प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने उस ग्वाल-बाल को भाग्यशाली बताया है जिसके हाथ से श्रीकृष्ण ने माखन-रोटी ले ली। कवि के अनुसार यह सबसे बड़ा सौभाग्य है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण बाल रूप में प्रेमपूर्वक अपने मित्रों और भक्तों के हाथ से भोजन ग्रहण करते हैं। यह दृश्य वात्सल्य और भक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक है।
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