Question:

दिए गए संस्कृत पद्यांश का सन्दर्भ सहित, हिन्दी में अनुवाद कीजिए : सार्थः प्रवसतो मित्रं भार्या मित्रं गृहे सतः । आतुरस्य भिषक् मित्रं दानं मित्रं मरिष्यतः ।। 
 

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इस प्रकार के सूक्तिपरक श्लोकों का अनुवाद करते समय प्रत्येक शब्द के सही अर्थ को समझना आवश्यक है। 'सार्थः' का अर्थ यहाँ धन या ज्ञान दोनों हो सकता है, 'आतुरस्य' का अर्थ रोगी है, और 'भिषक्' का अर्थ वैद्य है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

सन्दर्भ:
प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक के 'संस्कृत खण्ड' में संकलित 'जीवन सूत्रानि' (जीवन के सूत्र) नामक पाठ से लिया गया है। यह श्लोक महाभारत के यक्ष-युधिष्ठिर संवाद का एक अंश है, जिसमें यक्ष के प्रश्न का युधिष्ठिर उत्तर दे रहे हैं।
हिन्दी में अनुवाद:
(युधिष्ठिर उत्तर देते हैं कि) प्रवास (यात्रा) में रहने वाले का मित्र धन (या ज्ञान) है, घर पर रहने वाले व्यक्ति की मित्र पत्नी है, रोगी का मित्र वैद्य (चिकित्सक) है और मरने वाले व्यक्ति का मित्र दान है।
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