Question:

दिए गए संस्कृत पद्यांश का सन्दर्भ सहित, हिन्दी में अनुवाद कीजिए : नितरां नीचोऽस्मीति त्वं खेदं कूप ! कदापि मा कृथाः । अत्यन्तसरस हृदयो यतः परेषां गुणग्रहीताऽसि ।। 
 

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'अन्योक्ति' का अर्थ है 'अन्य के प्रति उक्ति'। ऐसे श्लोकों का अनुवाद करते समय शाब्दिक अर्थ के साथ-साथ उसका प्रतीकात्मक भावार्थ भी अवश्य लिखना चाहिए। यहाँ 'कूप' सज्जन व्यक्ति का, 'नीच' विनम्र स्थिति का, 'सरस हृदय' प्रेमपूर्ण हृदय का और 'गुण' रस्सी एवं सद्गुणों का प्रतीक है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

सन्दर्भ:
प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक के 'संस्कृत खण्ड' के 'अन्योक्तिविलासः' नामक पाठ से उद्धृत है। इस श्लोक में कुएँ के माध्यम से किसी गुणी और सज्जन व्यक्ति को यह संदेश दिया गया है कि उसे अपनी विनम्र स्थिति पर दुखी नहीं होना चाहिए।
हिन्दी में अनुवाद:
हे कुएँ! 'मैं अत्यन्त नीचा (गहरा) हूँ' ऐसा सोचकर तुम कभी भी दुःख मत करो, क्योंकि तुम अत्यन्त सरस (जल से युक्त) हृदय वाले हो और दूसरों के गुणों (रस्सी) को ग्रहण करने वाले हो।
भावार्थ: हे गुणी व्यक्ति! तुम अपनी छोटी स्थिति को देखकर दुखी मत हो, क्योंकि तुम्हारा हृदय प्रेम से परिपूर्ण है और तुम दूसरों के गुणों को ग्रहण करने वाले हो।
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