लागेउ माँह परे अब पाला~। बिरह काल भएउ जड़ काला~॥
पहिल पहिल तन रूई जो झाँपे~। रहिल रहिल अधिको हिय काँपे~॥
आई सूर होइ तपु रे नाहाँ~। तेहि बिनु जाड़ न छूटे माँहँ~॥
एहि मास उपजै रस मूलू~। तूँ सो भँवर मोर जोबन फूलू~॥
यह वह विश्वास, नहीं जो अपनी लघुता में भी काँपा,
वह पीड़ा, जिस की गहराई को स्वयं उसी ने नापा~;
कुर्स्ता, अपमान, अवज्ञा के धुँधलाते कड़वे तम में
यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अमुक्त – नेत्र,
उल्लंब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापा~।
जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय, इसको भी भक्ति को दे दो --
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो~।
‘जो है वह सुलगाता है। जो नहीं है वह फेंकने लगता है पचाखियाँ’ — पंक्ति के सन्दर्भ में ‘सुलगाने’ और ‘पचाखियाँ फेंकने’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
‘तोड़ो’ कविता का कवि सृजन का आकांक्षी है, विध्वंस का नहीं। सिद्ध कीजिए।
‘देवसेना का गीत’ कविता के आधार पर लिखिए कि देवसेना के जीवन की विडंबना किसे कहा गया है और क्यों?
चित्रकला, संगीतकला या नृत्यकला की तरह कविता लेखन की कला सिखाई क्यों नहीं जा सकती? स्पष्ट कीजिए।
If \[ A = \begin{bmatrix} 2 & -3 & 5 \\ 3 & 2 & -4 \\ 1 & 1 & -2 \end{bmatrix}, \] find \( A^{-1} \).
Using \( A^{-1} \), solve the following system of equations:
\[ \begin{aligned} 2x - 3y + 5z &= 11 \quad \text{(1)} \\ 3x + 2y - 4z &= -5 \quad \text{(2)} \\ x + y - 2z &= -3 \quad \text{(3)} \end{aligned} \]
‘सूरदास की झोंपड़ी’ से उद्धृत कथन “हम सो लाख बार घर बनाएँगे” के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक सोच का होना क्यों अनिवार्य है।
शिवालिक की सूखी नीसर पहाड़ियों पर मुस्कुराते हुए ये वृक्ष खड़ेताली हैं, अलमस्त हैं~।
मैं किसी का नाम नहीं जानता, कुल नहीं जानता, शील नहीं जानता पर लगता है,
ये जैसे मुझे अनादि काल से जानते हैं~।
इनमें से एक छोटा-सा, बहुत ही भोला पेड़ है, पत्ते छोटे भी हैं, बड़े भी हैं~।
फूलों से तो ऐसा लगता है कि कुछ पूछते रहते हैं~।
अनजाने की आदत है, मुस्कुराना जान पड़ता है~।
मन ही मन ऐसा लगता है कि क्या मुझे भी इन्हें पहचानता~?
पहचानता तो हूँ, अथवा वहम है~।
लगता है, बहुत बार देख चुका हूँ~।
पहचानता हूँ~।
उजाले के साथ, मुझे उसकी छाया पहचानती है~।
नाम भूल जाता हूँ~।
प्रायः भूल जाता हूँ~।
रूप देखकर सोच: पहचान जाता हूँ, नाम नहीं आता~।
पर नाम ऐसा है कि जब वह पेड़ के पहले ही हाज़िर हो ले जाए तब तक का रूप की पहचान अपूर्ण रह जाती है।