Question:

‘भक्ति’ पाठ परिस्थितिवश अकथ्य बनी, पर महादेवी जी के आत्मीयता से परिपूर्ण स्त्री-अस्मिता के संघर्ष की कहानी है।’ इस कथन की पुष्टि कीजिए।

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जब कथन ‘स्त्री-अस्मिता’ से जुड़ा हो, तो केवल समस्या नहीं — समाधान की भूमिका में स्त्री को चित्रित करना महत्वपूर्ण होता है।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

‘भक्ति’ पाठ में प्रस्तुत कहानी केवल सामाजिक कुरीतियों या परिस्थितिजन्य विवशताओं की चर्चा नहीं है, बल्कि इसमें नारी अस्मिता का संघर्ष, उसकी आत्मशक्ति और जुझारूपन भी छिपा है। महादेवी वर्मा ने जिस ‘भक्ति’ नामक पात्र को चित्रित किया है, वह पाँच वर्ष की आयु में विवाह और नौ वर्ष में विदा जैसी प्रथा का शिकार बनती है, परंतु वही बालिका आगे चलकर आत्मसम्मान और अधिकार के लिए जूझती है।
कहानी में भक्ति अपनी बेटियों के लिए भी संघर्ष करती है, उनके शिक्षा-अधिकार और विवाह के निर्णय में अपनी भूमिका निभाती है। यह नारी की पारंपरिक छवि को तोड़ती हुई आधुनिक चेतना और आत्मनिर्भरता का परिचायक बनती है।
इस प्रकार यह पाठ नारी संघर्ष की जीवंत अभिव्यक्ति है, जो समाज की रूढ़ियों के विरुद्ध आत्मसम्मान से भरी हुई स्त्री की कहानी कहता है।
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