'अग्रपूजा' खण्डकाव्य का 'आयोजन' सर्ग प्रथम सर्ग है। इसमें पाण्डवों द्वारा राजसूय यज्ञ के आयोजन और उसके समक्ष आने वाली बाधाओं पर विचार-विमर्श का वर्णन है।
Step 1: The Decision of Rajasuya Yajna:
खाण्डव वन को जलाकर उसके स्थान पर इन्द्रप्रस्थ नामक भव्य नगरी बसाने के पश्चात्, पाण्डव सुखपूर्वक राज्य करते हैं। एक दिन नारद मुनि उनके पास आते हैं और युधिष्ठिर को 'राजसूय यज्ञ' करने का परामर्श देते हैं। युधिष्ठिर अपने भाइयों और श्रीकृष्ण से इस विषय पर मंत्रणा करते हैं।
Step 2: The Obstacle - Jarasandha:
श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को बताते हैं कि राजसूय यज्ञ वही सम्राट कर सकता है जो सम्पूर्ण आर्यावर्त के राजाओं में श्रेष्ठ हो। वे बताते हैं कि मगध का सम्राट जरासंध इस यज्ञ में सबसे बड़ी बाधा है, क्योंकि उसने अनेक राजाओं को बन्दी बना रखा है। जब तक जरासंध जीवित है, तब तक युधिष्ठिर चक्रवर्ती सम्राट नहीं बन सकते और न ही यह यज्ञ सफल हो सकता है।
Step 3: The Plan:
श्रीकृष्ण जरासंध के वध की योजना प्रस्तुत करते हैं। वे बताते हैं कि जरासंध को सीधे युद्ध में पराजित करना लगभग असम्भव है। अतः, वे भीम के साथ मल्ल-युद्ध (कुश्ती) में उसे मारने का सुझाव देते हैं। इस योजना के अनुसार, श्रीकृष्ण, भीम और अर्जुन ब्राह्मण का वेश धारण करके मगध की राजधानी के लिए प्रस्थान करते हैं। यह सर्ग राजसूय यज्ञ के आयोजन की भूमिका तैयार करता है और श्रीकृष्ण की दूरदर्शिता तथा राजनीतिक कुशलता को प्रकट करता है।