Question:

'अग्रपूजा' खण्डकाव्य के 'आयोजन' सर्ग का कथानक का सारांश अपने शब्दों में लिखिए । 
 

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सारांश लिखते समय, सर्ग की मुख्य घटना - अग्रपूजा के लिए श्रीकृष्ण का चयन और शिशुपाल द्वारा उसका विरोध - को केंद्र में रखें। यह घटना ही सर्ग का सार है।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

'अग्रपूजा' खण्डकाव्य का 'आयोजन' सर्ग (द्वितीय सर्ग) युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में 'अग्रपूजा' के प्रसंग पर आधारित है। इसका सारांश इस प्रकार है:
श्रीकृष्ण की प्रेरणा से युधिष्ठिर राजसूय यज्ञ का आयोजन करते हैं। यज्ञ में देश-विदेश के सभी राजाओं, ऋषि-मुनियों और विद्वानों को आमंत्रित किया जाता है।
यज्ञ के आरंभ में यह प्रश्न उठता है कि सभा में उपस्थित सभी महानुभावों में से सबसे पहले किसकी पूजा (अग्रपूजा) की जाए।
धर्मराज युधिष्ठिर इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए पितामह भीष्म से अनुरोध करते हैं।
पितामह भीष्म सभा में उपस्थित सभी लोगों के गुणों का विश्लेषण करते हुए भगवान श्रीकृष्ण को ही अग्रपूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ और सर्वयोग्य पात्र घोषित करते हैं। वे श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं।
सहदेव इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं और श्रीकृष्ण की अग्रपूजा का विधान प्रारम्भ होता है।
अधिकांश राजा इस निर्णय से प्रसन्न होते हैं, किन्तु चेदि देश का राजा शिशुपाल इसका घोर विरोध करता है। वह क्रोध में आकर भीष्म और श्रीकृष्ण का अपमान करने लगता है। यहीं से महाभारत के युद्ध का बीजारोपण हो जाता है।
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