Question:

'अग्रपूजा' खण्डकाव्य के आधार पर 'युधिष्ठिर' का चरित्र-चित्रण कीजिए । 
 

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युधिष्ठिर का चरित्र-चित्रण करते समय उनके उपनाम 'धर्मराज' को आधार बनाकर व्याख्या करें। उनके सभी गुण इसी एक विशेषता से जुड़े हुए हैं।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

'अग्रपूजा' खण्डकाव्य में युधिष्ठिर एक आदर्श नायक के रूप में चित्रित हैं। उनकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
धर्मराज और सत्यवादी: युधिष्ठिर को 'धर्मराज' कहा जाता है क्योंकि वे सदैव धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हैं। कठिन से कठिन परिस्थिति में भी वे धर्म का त्याग नहीं करते।
विनम्र और शीलवान: उनका स्वभाव अत्यंत विनम्र और शांत है। वे सभी बड़ों, गुरुजनों और अतिथियों का यथोचित सम्मान करते हैं। उनका आचरण शील और सदाचार का प्रतीक है।
आदर्श शासक: वे एक प्रजा-वत्सल राजा हैं। उनकी एकमात्र इच्छा अपनी प्रजा को सुखी देखना है। वे न्यायप्रिय हैं और उनके राज्य में सभी प्रसन्न हैं।
श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त: युधिष्ठिर की भगवान श्रीकृष्ण में अटूट श्रद्धा और विश्वास है। वे प्रत्येक महत्वपूर्ण कार्य में श्रीकृष्ण से परामर्श लेते हैं और उन्हीं के निर्णय को अंतिम मानते हैं।
क्षमाशील एवं उदार: उनका हृदय अत्यंत उदार है। वे अपने भाईयों के प्रति अपमानजनक व्यवहार करने वाले दुर्योधन जैसे शत्रुओं के प्रति भी कटुता नहीं रखते।
शांतिप्रिय: युधिष्ठिर स्वभाव से शांतिप्रिय हैं और अंत तक युद्ध को टालने का प्रयास करते हैं। राजसूय यज्ञ का आयोजन भी विश्व-शांति की कामना से ही किया गया था।
इस प्रकार, युधिष्ठिर धर्म, सत्य, विनम्रता और उदारता की प्रतिमूर्ति हैं।
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