आस्तिक दर्शन के नाम उनके प्रवर्तक के साथ लिखें।
Step 1: साझा आधार.
वेद-प्रामाण्य का स्वीकार, श्रुति–स्मृति–युक्ति का उपयोग और मुक्ति/ध्येय की चर्चा—छः दर्शन की सामान्य भूमि है।
Step 2: विशिष्टता.
न्याय—तर्क/प्रमाण; वैशेषिक—पदार्थ-सूची; सांख्य—पुरुष–प्रकृति द्वैत; योग—अष्टाङ्ग साधना; पूर्वमीमांसा—कर्म–विधि; वेदान्त—ब्रह्म–आत्मा का तत्त्व।
Step 3: ऐतिहासिक प्रवाह.
प्रवर्तकों की ग्रन्थ-परम्पराएँ—न्यायसूत्र, वैशेषिकसूत्र, सांख्यकारिका, योगसूत्र, मीमांसा सूत्र, ब्रह्मसूत्र—भारतीय दार्शनिक संवाद की रीढ़ बनीं।
Step 4: निष्कर्ष.
छः दर्शनों की बहु-स्वरता भारतीय दर्शन को व्यापकता और गहराई देती है, पर लक्ष्य—आत्मानुशासन और मुक्ति—समान रहता है।
भारतीय दर्शन की उत्पत्ति किससे मानी जाती है?
चार्वाक, बौद्ध और जैन किस दार्शनिक सम्प्रदाय में आते हैं?
भारतीय दर्शन की मूल दृष्टि है
'ऋत' सम्बन्धित है—
'कर्म' शब्द की उत्पत्ति हुई है—