“अपनी समस्त कोशिशों के बावजूद अंग्रेज़ी राज हिंदुस्तान को पूर्ण रूप से अपनी ‘सांस्कृतिक कॉलोनी’ बनाने में असफल रहा।
भारत की सांस्कृतिक विरासत यूरोप की तरह इंडिविजुअल नहीं थी — वह हर रिश्तों से जीवित थी, जो जंगलों, नदियों, पर्व, रीतियों, संस्कारों, भाषा, बोली, भाव, गंध आदि से बनी थी।”