Comprehension

यह एक नैतिक और आध्यात्मिक स्रोत है, जो अनन्तकाल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस सारे देश में बहता रहा है । यह हमारा सौभाग्य रहा है कि हमने ऐसे ही एक मूर्त रूप को अपने बीच चलते-फिरते, हँसते-रोते भी देखा है और जिसने अमरत्व की याद दिलाकर हमारी सूखी हड्डियों में नई मज्जा डाल हमारे मृतप्राय शरीर में नये प्राण फूंके और मुरझाये हुए दिलों को फिर खिला दिया । वह अमरत्व सत्य और अहिंसा का है । 
 

Question: 1

उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।

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सन्दर्भ लिखते समय पाठ का नाम सिंगल इनवर्टेड कॉमा (' ') में और लेखक का नाम स्पष्ट रूप से लिखें। यदि आप पाठ के बारे में एक संक्षिप्त पंक्ति जोड़ते हैं, तो यह उत्तर को और प्रभावी बनाता है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Question:
प्रश्न में दिए गए गद्यांश का सन्दर्भ लिखने के लिए कहा गया है, जिसमें पाठ का नाम और लेखक का नाम बताना होता है।
Step 2: Identifying the Author and Text:
गद्यांश में 'नैतिक और आध्यात्मिक स्रोत', 'सत्य और अहिंसा', और एक 'मूर्त रूप' (महात्मा गाँधी) का वर्णन है, जिसने देश में नए प्राण फूँक दिए। ये विचार भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के निबंध 'भारतीय संस्कृति' से लिए गए हैं।
Step 3: Writing the Context (सन्दर्भ):
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'हिन्दी' के गद्य-खण्ड में संकलित तथा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा लिखित 'भारतीय संस्कृति' नामक पाठ से उद्धृत है। इस पाठ में लेखक ने भारतीय संस्कृति की विशेषताओं पर प्रकाश डाला है।
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Question: 2

मानव मात्र के लिए वर्तमान में क्या आवश्यक हो गया है ?

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गद्यांश पर आधारित प्रश्नों का उत्तर देते समय, उत्तर को सीधे गद्यांश की पंक्तियों से प्राप्त करने का प्रयास करें। उत्तर संक्षिप्त और सटीक होना चाहिए।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Question:
प्रश्न में पूछा गया है कि गद्यांश के अनुसार, आज पूरी मानवता के लिए क्या आवश्यक है।
Step 2: Analyzing the Passage:
गद्यांश की अंतिम पंक्ति में कहा गया है, "वह अमरत्व सत्य और अहिंसा का है।" लेखक आगे बताते हैं (जैसा कि मूल पाठ में है) कि यही सत्य और अहिंसा आज केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानव जाति के जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हो गए हैं।
Step 3: Final Answer:
गद्यांश के अनुसार, मानव मात्र के लिए वर्तमान में सत्य और अहिंसा रूपी अमरत्व आवश्यक हो गया है। ये दो सिद्धांत ही मानवता को शांति और प्रगति के मार्ग पर ले जा सकते हैं।
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Question: 3

गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
रेखांकित अंश: "जिसने अमरत्व की याद दिलाकर हमारी सूखी हड्डियों में नई मज्जा डाल हमारे मृतप्राय शरीर में नये प्राण फूंके और मुरझाये हुए दिलों को फिर खिला दिया ।"

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रेखांकित अंश की व्याख्या करते समय, लाक्षणिक और अलंकारिक भाषा के शाब्दिक अर्थ के साथ-साथ उसके पीछे छिपे गहरे भाव को भी स्पष्ट करना चाहिए। प्रत्येक वाक्यांश का अलग-अलग अर्थ बताकर फिर समग्र भाव को समझाना एक अच्छी तकनीक है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Question:
प्रश्न में दिए गए रेखांकित अंश की व्याख्या करने के लिए कहा गया है। यह अंश लाक्षणिक भाषा में लिखा गया है।
Step 2: Detailed Explanation:
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने महात्मा गाँधी के भारतीय समाज पर पड़े प्रभाव का अलंकारिक वर्णन किया है।
व्याख्या: लेखक कहते हैं कि हम भारतवासियों का यह सौभाग्य है कि हमने भारतीय संस्कृति के अमृत तत्त्व (सत्य और अहिंसा) को महात्मा गाँधी के रूप में साकार होते देखा है। गाँधीजी ने हमें हमारी अमर संस्कृति और उसकी शक्ति का स्मरण कराया।
- 'हमारी सूखी हड्डियों में नई मज्जा डाल': इसका आशय है कि परतंत्रता के कारण भारतवासी निराश, हताश और शक्तिहीन हो चुके थे, जैसे बिना मज्जा के हड्डियाँ निर्जीव होती हैं। गाँधीजी ने उनमें नई शक्ति और ऊर्जा का संचार किया।
- 'हमारे मृतप्राय शरीर में नये प्राण फूंके': इसका अर्थ है कि गुलामी के कारण भारत राष्ट्र और समाज एक मृत शरीर के समान चेतना-शून्य हो गया था। गाँधीजी ने अपने विचारों और आंदोलनों से उस मृतप्राय राष्ट्र में नए जीवन का संचार कर दिया।
- 'मुरझाये हुए दिलों को फिर खिला दिया': इसका तात्पर्य है कि निराशा और दुःख से लोगों के मन मुरझा गए थे। गाँधीजी ने उनमें आशा, उत्साह और स्वतंत्रता की उमंग भरकर उन्हें फिर से प्रफुल्लित कर दिया।
Step 3: Conclusion:
अतः, इस अंश में लेखक ने बताया है कि महात्मा गाँधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर निराश और कमजोर भारतीय जनमानस को नई शक्ति, चेतना और आशा से भर दिया।
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