'त्यागपथी' खण्डकाव्य में अनेक महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित होती हैं, जो न केवल नायक-नायिका के चरित्र को उभारती हैं, बल्कि समाज और धर्म की गहरी सीख भी देती हैं।
संघर्ष और आत्म-त्याग की शुरुआत: खण्डकाव्य की प्रारंभिक घटनाएँ नायक के संघर्ष और त्याग की भावना को उजागर करती हैं, जहाँ वह व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर समाज और धर्म के लिए समर्पित होता है।
राज्यश्री की जीवन-यात्रा: राज्यश्री का संघर्ष, उनकी कठिनाइयाँ और आत्मनिर्भरता इस खण्डकाव्य की एक महत्वपूर्ण धारा को दर्शाते हैं।
नैतिकता और धर्म का संदेश: विभिन्न घटनाओं के माध्यम से यह खण्डकाव्य धर्म, न्याय और मानव मूल्यों को महत्व देने की प्रेरणा देता है।
त्याग और बलिदान का चरमोत्कर्ष: खण्डकाव्य के अंत में त्याग की पराकाष्ठा दिखाई देती है, जहाँ नायक और राज्यश्री अपने सिद्धांतों के लिए बड़े से बड़ा बलिदान देने के लिए तत्पर रहते हैं।
'त्यागपथी' खण्डकाव्य की घटनाएँ व्यक्ति के चरित्र निर्माण, नारी शक्ति, आत्म-त्याग और समाजहित के लिए समर्पण की भावना को उजागर करती हैं।