'त्यागपथी' खण्डकाव्य में राज्यश्री का चरित्र नारी शक्ति, त्याग और धैर्य का प्रतीक है। वह केवल एक राजकुमारी नहीं, बल्कि एक संघर्षशील, धैर्यवान और आदर्शवादी महिला के रूप में प्रस्तुत की गई हैं।
राज्यश्री का जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि: वह एक राजकुमारी होते हुए भी अपने जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करती हैं और धैर्यपूर्वक उनका समाधान खोजती हैं।
संघर्ष और आत्मनिर्भरता: राज्यश्री का जीवन केवल ऐश्वर्य में नहीं बीता, बल्कि उन्होंने अपने संघर्षों से जीवन को एक नई दिशा दी। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मनिर्भरता का परिचय दिया।
त्याग और नारी सशक्तिकरण: वह केवल स्वयं के लिए नहीं, बल्कि समाज और धर्म के लिए भी त्याग करने को तत्पर रहती हैं। उनका चरित्र नारी सशक्तिकरण का एक प्रेरणास्रोत है।
राज्यश्री का प्रेरणादायक व्यक्तित्व: उनकी सहनशीलता, कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति समर्पण उन्हें एक आदर्श नारी के रूप में प्रस्तुत करता है।
राज्यश्री का चरित्र त्याग, साहस और आत्मसम्मान का प्रतीक है, जो यह दर्शाता है कि कठिनाइयों के बावजूद सच्ची नारी शक्ति कैसे आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प से विजय प्राप्त कर सकती है।